अयोध्या। पूरी अयोध्या दिवाली से एक दिन पूर्व राममय हो गई है। दीपोत्सव की अद्भुत छटा चारों ओर बिखरी हुई है। रामकथा पार्क को राजभवन की तरह सजाया गया है। इन सबके बीच भव्य दीपोत्सव आयोजन में शिरकत करने के लिए पीएम मोदी खासतौर पर अयोध्या पहुंचे। पीएम मोदी ने अयोध्या में रामलला के दर्शन किए और उनका आशीर्वाद लिया। रामलला का दर्शन करने के बाद पीएम मोदी ने राम मंदिर के नक्शे को देखा और जानकारी ली। पीएम मोदी ने निर्माण कार्यों का भी निरीक्षण किया। इसके बाद पीएम मोदी ने महर्षि वशिष्ठ की भूमिका में श्रीराम का राजतिलक कर आरती उतारी और सभा को संबोधित किया।
श्री रामलला के दर्शन और उसके बाद राजा राम का अभिषेक, ये सौभाग्य रामजी की कृपा से ही मिलता है। जब श्रीराम का अभिषेक होता है तो हमारे भीतर भगवान राम के आदर्श, मूल्य और दृढ़ हो जाते हैं। आजादी के अमृतकाल में भगवान राम जैसी संकल्प शक्ति, देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी। भगवान राम ने अपने वचन में, अपने विचारों में, अपने शासन में, अपने प्रशासन में जिन मूल्यों को गढ़ा, वो सबका साथ-सबका विकास की प्रेरणा हैं और सबका विश्वास-सबका प्रयास का आधार हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि एक समय वो भी था जब हमारे ही देश में श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल उठाए जाते थे। इसका नतीजा यह हुआ कि हमारे देश के धार्मिक स्थलों का विकास पीछे छूट गया। पिछले आठ साल में हमने धार्मिक स्थानों के विकास के काम को आगे रखा है। भगवान श्रीराम का जीवन बताता है कि हमारे अधिकार हमारे कर्तव्य से स्वयंसिद्घ हो जाते हैं। श्रीराम ने अपने जीवन में कर्तव्यों को सर्वाधिक जोर दिया। उन्होंने वन में रहकर साधुओं की संगत की।
प्रधानमंत्री मोदी अयोध्यावासियों से कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ ही आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ जाएगी। ऐसे में अयोध्या स्वच्छ और यहां के लोगों का व्यवहार अच्छा हो। यह यहां के लोगों को तय करना है।
उन्होंने कहा कि कितना अच्छा हो कि अयोध्या के नागरिकों का व्यवहार भी अपने आप में मानक बने।राम किसी को पीछे नहीं छोड़ते। राम कर्तव्य-भावना से मुख नहीं मोड़ते। इसलिए, राम, भारत की उस भावना के प्रतीक हैं, जो मानती है कि हमारे अधिकार हमारे कर्तव्यों से स्वयं सिद्ध हो जाते हैं। भगवान राम, मर्यादापुरुषोत्तम कहे जाते हैं। मर्यादा, मान रखना भी सिखाती है और मान देना भी और मर्यादा, जिस बोध की आग्रह होती है, वो बोध कर्तव्य ही है। लाल किले से मैंने सभी देशवासियों से पंच प्राणों को आत्मसात करने का आह्वान किया है। इन पंच प्रांणों की ऊर्जा जिस एक तत्व से जुड़ी है, वो है भारत के नागरिकों का कर्तव्य। आज अयोध्या नगरी में, दीपोत्सव के इस पावन अवसर पर हमें अपने इस संकल्प को दोहराना है, श्रीराम से सीखना है।