डीएम साहेब,इटावा की जनता पगलायी तो हो जायेंगे परेशान…
सुंदरपुर,कन्हैया नगर में दो माह से पागल बंदर ने दर्जनों लोगों पर किया हमला
शीला श्रीवास्तव की हालत नाजुक, ममता यादव, मोना तिवारी, ऊषा देवी, प्रदीप श्रीवास्तव,मानूं कठेरिया, अमित कुमार पर बंदर ने किया हमला
बड़ा हादसा टला: ममता यादव को चलती एक्टिवा पर किया हमला गिर कर हुई घायल
शेखर यादव
इटावा। मथुरा में एक बंदर ने डीएम का चश्मा जेब से झपट कर भाग गया। चूंकि बंदर ने डीएम का चश्मा लेकर भागा था इसलिये पूरा अमला दौड़ पड़ा बंदर के पीछे। बंदर ने दिन भर सभी को छकाया। प्रशासनिक से लेकर वर्दीधारी बंदर के पीछे दौड़ लगाते रहें और मानों बंदर ने ठान लिया हो कि आज आपलोगों को उनकी हैसियत बताकर मानेंगे…। आगे-आगे बंदर और दौड़ लगाते कर्मचारी कह रहे थे मामा चश्मा दे दो,नहीं तो जायेगी हमलोगों की नौकरी…। उसके बाद शायद डीएम को चश्मा मिला। इसी तरह,एक दिन बाद उसी बंदर ने एक दारोगा की टोपी पर झपट्टा मारा और चंपत हो गया। अब खाकी की बेइज्जती हो गयी इसलिये भी पुलिस के जवान बंदर के पीछे भागे और मिमियाते हुये बोले ऐ बंदर टोपी दे दे…। दोनों घटनाओं का जिक्र इसलिये कर रहा हूं क्योंकि मामला डीएम और दारोगा का था इसलिये सभी एक्श्न में दिखे लेकिन इटावा में एक पागल बंदर लगभग दो माह से आतंक मचा रखा है लेकिन ना तो वन विभाग के अफसर गंभीर हैं और ना ही डीएम का अमला…क्यों ? पागल बंदर हर दिन बच्चों,महिलाओं और राहगीरों पर अचानक से हमला करता है और उनके शरीर से मांस का लोथड़ा निकाल कर भाग जाता है। बच्चे,महिलाएं चीखती हैं,चिल्लाती हैं लेकिन ये चीख इटावा के डीएम और वन विभाग के अफसरों को नहीं सुनायी दे रही। डीएम साहेब,क्या आप किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहे हैं ? क्या आप चाहते हैं कि इटावा की क्रांतिकारी जनता पागल बंदर की तरह आप लोगों पर हमला करे ? मामला गंभीर होता जा रहा है, कुछ कीजिये,वर्ना जिनके घरों के लोग पागल बंदर के शिकार हो रहे हैं,यदि वे लोग सनक गये तो अंजाम कुछ भी हो सकता है।
इटावा के कन्हैयानगर,सुंदरपुर के लोग भयाक्रांत हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। कल की ही बात है ममता यादव अपनी बिटिया को कोचिंग छोड़कर घर लौट रही थीं। जैसे ही घर के पास अपनी एक्टिवा खड़ी कर रही थीं,अचानक बंदर ने उन पर हमला कर दिया। बुरी तरह से घायल ममता घर के अंदर भागी,तब जाकर उनकी जान बची। बंदरों के आतंक निरंतर बढऩे से लोग परेशान हैं। नगर पालिका प्रशासन एवं वन विभाग से बार-बार लोग बंदरों से छुटकारा दिलाने की मांग करते रहे, लेकिन समाधान नहीं हो रहा है। निरंतर क्षेत्र में बढ़ रही बंदरों की घटनाओं के कारण लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गये हैं। बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं। पागल बंदर हर रोज लगभग दर्जनों लोगों को काट कर घायल कर रहा है। वह बच्चों, बुजुर्गों, राहगीरों,महिलाओं को काट रहा हैं। सिर्फ एक बंदर के चलते गलियों में लोगों का निकलना मुश्किल हो गया है। वह घरों में घुस कर घर में रखा सामान उठा कर ले जाता है। बंदर के डर से गलियों में, छतों पर बच्चे नहीं निकल पाते, महिलाएं भी छतों पर कपड़े सुखाने के बाद उनकी रखवाली करती हैं। बंदर छतों पर सूखने वाले कपड़े ले जाते हैं। एक ही बंदर है जो पागल हो गया है वह अक्सर कुत्ते महिलाओं, बच्चों पर रात में भी हमलावर हो जाता है ।
मंगलवार को पागल बंदर ने ममता यादव पर हमला कर दिया,जो अपनी बेटी को कोचिंग पर छोड़ कर आ रही थीं। वह घर के पास पहुंचने बाली थी तभी चलती हुई एक्टिवा पर बंदर ने हमला कर दिया, जिससे वह रोड पर गिरकर बुरी तरह घायल हो गयीं। मोना तिवारी नाम की महिला पर इसी हफ्ते में यह तीसरा हमला है। वह कपड़े सुखाने के लिये छत पर गयी थी । हमले में मोना बुरी तरह लहूलुहान हो गयीं। महिला छत से नीचे सीढिय़ों से होकर गिरकर बुरी तरह घायल हो गयीं। हाथ, पैर और कमर में भी चोट लगी है। कन्हैया नगर निवासी उषा देवी, मनु, प्रदीप श्रीवास्तव, अमित कुमार, मानु कठेरिया, ऋ षभ को भी बंदर ने घायल कर दिया है। उसके हाथ पर बंदर ने बुरी तरह काट लिया, तत्काल इलाज के लिये अस्पताल ले जाया गया। इससे पहले आसपास के क्षेत्रों में करीब 500 लोगों को बंदर हमला बोलकर घायल कर चुका हैं।
क्षेत्र के लोगों के बार-बार वन विभाग एवं नगर पालिका में शिकायत करने के बावजूद भी आज तक प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की। कुछ दिनों पहले शीला श्रीवास्तव को इसी बंदर ने हमला किया था जिनकी हालत अभी भी चिंताजनक बतायी जा रही है। अगर प्रशासनिक अधिकारियों ने ध्यान न दिया तो क्षेत्र में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है । इतनी घटनाएं होने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।क्या प्रशासनिक अधिकारी किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं।