इटावा में खूनी बंदर का खौफ :प्रशासनिक अधिकारी मेरा काम नहीं… बताकर झाड़ रहे हैं पल्ला

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सुंदरपुर, कन्हैया नगर में खूनी बंदरों का आतंक,बच्चों पर हमलावर बंदर नोच डाल रहा चमड़ी

सुंदरपुर मोड़, बीजेपी कार्यालय, ज्ञानदीप इंटर कॉलेज से डर कर नहीं निकल रहें नागरिक

बीजेपी कार्यालय से हाइवे तक बने हैं मैरिज होम में छिपे रहते हैं खूनी बंदर

बंदर के खौफ से बच्चे नहीं जा रहें स्कूल

बड़ा सवाल : प्रशासनिक अधिकारी मेरा काम नहीं… बताकर झाड़ रहे हैं पल्ला

  शेखर यादव

इटावा। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की नगरी इटावा में बंदरों का आतंक हो गया है। 50 से अधिक बच्चे,महिला एवं पुरुष खूनी बंदरों के शिकार हो चुके हैं। भाजपा सरकार इनकी रक्षा करने के बजाये खामोश हैं। बच्चे तो इतने भयाक्रांत हैं कि वे बिना अभिभावकों के स्कूल नहीं जा रहे हैं क्योंकि बंदर बच्चों पर ज्यादा हमलावर हो जाता है। बंदर बच्चों पर हमला ही नहीं करता बल्कि अपने तेज नाखूनों से उनकी चमड़ी उधेड़ दे रहा है। जब इसकी शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों से की जाती है तो सभी अपना काम ना बताकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं। सुंदरपुर,कन्हैया नगर में रहने वालों का कहना है कि यदि बंदर के आतंक को नहीं रोका गया तो हमलोग किसी भी दिन डीएम आवास,कार्यालय का घेराव करेंगे।

खूनी बंदरों का आतंक बढता जा रहा है। बंदर अभी तक लगभग 50 से अधिक लोगों को अपना शिकार बनाते हुये घायल कर चुके हैं। रविवार सुबह मंदिर से पूजा करके बाहर निकली बृद्ध शीतला श्रीवास्तव पर बंदर ने हमला कर उन्हें घायल कर दिया। उन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया, उनकी स्थिति खराब बतायी जा रही है। इसी तरह बुधवार को ज्ञानदीप इंटर कॉलेज के पास दुकान पर बैठी महिला पर बंदरों ने हमला कर घायल कर दिया, जिसे इलाज के लिये अस्पताल ले जाया गया।

 

बता दें कि विगत कुछ महीनों से क्षेत्र में कई बंदर आक्रामक हो गये हैं, जो अक्सर इंसानों पर हमला कर उन्हें जख्मी कर रहे हैं । पिछले सप्ताह एक महिला अपने बच्चे को स्कूल छोडऩे जा रही थी, बंदरों ने महिला और एक बालक पर हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया।

सुंदरपुर, कन्हैया नगर में 15 दिनों से हमलावर बंदरों की शिकार अमिता गुप्ता, फू लन देवी, अनामिका,मनीष कुमार, पीयूष, कृष्णा, शिवा, विजय प्रताप, ज्योति, पूजा आदि कई महिलाएं, पुरुष, युवक और युवतियां हो चुकी हैं। बहरहाल, सुंदरपुर कन्हैया नगर और आसपास के लोगों में दहशत इस कदर हो गया है कि यदि बच्चों को छोडऩे के लिये अभिभावक न हो तो बच्चे स्कूल ही नहीं जा रहे हैं। क्षेत्रवासियों का कहना है कि इतनी गंभीर समस्या होने के बाद जब हम अधिकारियों के पास जाते हैं तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता।

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