अयोध्या,वाराणसी,मथुरा राजनीति का अखाड़ा नहीं है,बाबा मिल गये हैं : प्रेम शुक्ला
कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा ने जो रिपोर्ट लीक की,उसे मानें तो बाबा मिल गये हैं: प्रेम शुक्ला
राजठाकरे अयोध्या प्रकरण में सरकार से कोई वास्ता नहीं,सांसद बृजभूषण सिंह का निजी बयान है
संजय पुरबिया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासत में इस समय दो अहम मसलों को लेकर भूचाल आया है। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में जहां बाबा मिल गईले… और एमएनएस प्रमुख राजठाकरे के अयोध्या में रामलाल दर्शन पर सांसद बृजभूषण शरण सिंह द्वारा रोक लगाने की चुनौती ने माहौल को गरमा रखा है। क्या बाबा मिल गये हैं ? क्या बृजभूषण सिंह के बयान सरकार के इशारे पर किया गया या ये उनका निजी बयान है ? इन मुददों पर बात करते हैं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला से।
जिस तरह से एमएनएस प्रमुख राजठाकरे को अयोध्या में ना घुसने की चुनौती कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने दी है,क्या ये सब सरकार के इशारों पर किया गया है ? इस पर राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा कि नहीं…। राजठाकरे प्रकरण से पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। ये सांसद बृजभूषण शरण सिंह का अपना निजी बयान है। उन्होंने कहा कि किसी भी रामभक्त को अयोध्या आने से नहीं रोका जा सकता है। जिस तरह किसी मुसलमान को मक्का जाने से नहीं रोका जा सकता, ठीक उसी तरह किसी भी रामभक्त को अयोध्या,मथुरा या काशी जाने से रोकना गलत है। श्री शुक्ला ने बताया कि अयोध्या,काशी और मथुरा कोई राजनीति का अखाड़ा नहीं है…। ये आस्था का केन्द्र है और इस पर किसी तरह क ा रोक नहीं लगाना चाहिये। सांसद द्वारा दिये गये बयान के बाद यदि बाल ठाकरे आते हैं तो सुरक्षा पर बड़ा सवाल उठ सकता है ? इस पर श्री शुक्ला ने कहा कि हर रामभक्त और नागरिकों को सुरक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है। वे आते हैं तो सरकार उन्हें सुरक्षा देगी। ये संासद का व्यक्तिगत बयान है उन्होंने खुद बयान दिया है।
इस समय वाराणसी के बहुचर्चित ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर देश भर में हंगामा मचा है। क्या मान लिया जाये कि बाबा मिल गईले? उन्होंने कहा कि सरकार ने कोर्ट क मिश्नर अजय मिश्रा को इतने महत्वपूर्ण मुद्दे को लीक करने के आरोप में हटाया है ये तो सभी जानते हैं। ये वो मुद्दा है जिसमें सभी की आस्था जुड़ी है,कोर्ट कमिश्नर ने उस रिपोर्ट को लीक कर दी। यदि लीक रिपोर्ट की मानी जाये तो उसके अनुसार बाबा मिल गये हैं…। जिन्हें न्यायालय ने सर्वेक्षण करने के लिये नियुक्त किया था,उनकी रिपोर्ट अमान्य करने का कोई कारण ही नहीं है। इससे खुशी की बात और क्या हो सकती है कि हमलोगों के बाबा मिल गये…।