सपा-कांग्रेस की ‘रार’ से बिखर ना जाये इंडिया गठबंधन…

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 संजय पुरबिया

लखनऊ। 2024 करीब आ रहा है और इंडिया गठबंधन में पड़ती दरारें साफ दिखने लगी है। यूपी की सियासत पर पूरी दुनिया की निगाहें लगी रहती है क्योंकि यहीं से वो राह निकलती है जहां से होकर संसद जाने का सपना पूरा होता है। इंडिया गठबंधन की गांठ धीरे-धीरे कर सपा और कांग्रेस की बयानवीरों और अधिक सीटों पर कब्जा करने की भूख की वजह से खुलती दिख है। बात करें समाजवादी पार्टी की तो, सपा प्रमुख अखिलेश यादव के दो बयान की वजह से कांग्रेस असमंजस में है। वहीं, कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव के बाद अपना पत्ता खोलने के मूड में है। सभी जानते हैं कि पांच राज्यों के चुनावी परिणाम के बाद ही यूपी की राजनीति में गठबंधन बनाने या तोडऩे का गुणा-भाग तेज होगा। राजनीतिक गलियारों में हवा तेज है कि जेल में बंद आजम खां से मिलने के लिये अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी जाने वाले हैं। यानि,कांग्रेस आजम के सहारे उनके वोट बैंक में सेंधमारी कर सपा को बड़ा झटका देने की फिराक में हैं। राहुल और आजम खां की मुलाकात के लिये कांग्रेस का बड़ा खेमा जुगत बिठाने में लगा है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस अपने दो प्रतिशत वोट बैंक को बढ़ाने में कामयाब हो पायेगी ? सवाल ये इसलिये है क्योंकि कांग्रेस को लोकसभा सीट जीतने के लिये 20 प्रतिशत वोट बैंक बढ़ाने होंगे और ये वोट बैंक सपा में सेंधमारी करके ही लायी जा सकती है। बता दें कि सपा की जान जातिवाद है,जिसका कार्ड खेल वो विधान सभा हो या लोकसभा चुनाव में अपनी सीटें बढ़ाने में कामयाब होती रही है,क्या इस बार लोकसभा चुनाव में सपा अपने जातीय समीकरण को साधने में कामयाब होगी। वैसे भी भाजपा की जान उत्तर प्रदेश है और जिस तरह से मुख्यमंत्री येागी आदित्यनाथ की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है,क्या इन्हें पार पाने के लिये इंडिया गठबंधन के पास कोई मजबूत राह है ?

बात जो भी हो इंडिया गठबंधन में शामिल सभी दलों का सिर्फ और सिर्फ एक मत है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को परास्त करें लेकिन जिस तरह से सीटों के बंटवारे को लेकर अभी से ही सपा और कांग्रेस में रार दिख रही है,उसे देख तो यही कहा जा सकता है कि भाजपा अपने मिशन में आसानी से बढ़ते हुये 80 की 80 सीटों पर जीत का रास्ता तय कर लेगी…। इंडिया गठबंधन की तस्वीर क्या होगी,इस पर भी अब संशय दिख रहा है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव के उन दो बयानों पर गौर किया जाये जो उन्होंने कहा था। हाल ही में उन्होंने बयान दिया था कि समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में 80 में से 65 सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारेगी। बाकी की 15 सीटें गठबंधन को देंगे। दूसरा बयान आया कि वे गठबंधन के सहयोगी दलों का सम्मान करते हैं। पहले भी सहयोगी दल को उन्होंने कभी निराश नहीं किया है और ना ही आगे भी नाराज होंगे। दो बयान देकर अखिलेश यादव ने एक बड़ी लकीर खिंच दी है जो कांग्रेस के लिये भी घातक हो सकती है। राजनीतिक गलियारों में चल रही बातों को मानें तो कांग्रेस यूपी में अपने वोट बैंक को बढ़ाने पर फोकस कर रही है। इन्हें मालूम है कि सपा की जातीय वोटबैंक में सेंधमारी कर अपने 2 प्रतिशत वोट बैंक को बढ़ा सकती है। कांग्रेस को इस बात का पूरा अहसास है कि उनकी पार्टी को जीतने के लिये 20 प्रतिशत वोट बैंक बढ़ाना ही होगा। इसी कड़ी से जोड़कर ही संभावना जतायी जा रही है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी जेल में बंद आजम खान से मिलने की तैयारी में हैं। पार्टी के एक बड़े धड़े के लोग आजम खान से मिलने की प्लानिंग बना रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी आजम खान से मिलने गये लेकिन कामयाब नहीं हो पाये।

वैसे भी इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी अपने को आगे बढ़ा रहे हैं। बात जो भी हो,जिस तरह से सपा और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर रार बढ़ रही है वो 2024 आते-आते और तेज हो जायेगी और इसका पूरा फायदा भाजपा को मिलने वाला है। मुख्यमंत्री येागी आदित्यनाथ के आक्रामक तेवर और शासन-सुशासन को सुधार पर लिये गये कड़े फैसलों ने उन्हें लोकप्रिय कर दिया है जो लोकसभा चुनाव में परिणाम को पलटने का काम कर सकता है।

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