दिव्यांश श्री.
लखनऊ। ‘जिंदगी’ और ‘मौत’ की जंग में जीतकर निकलने वाला ही ‘किस्मत वाला’ कहलाता है…। कोरोना काल वो दौर था,जब हर तरफ ‘कुदरत’ ‘मौत’ का ‘कहर’ बरपा रही थी,जिसमें कितने परिवार उजड़ गये लेकिन अधिसंख्य ऐसे हैं जिन पर ईश्वर,अल्लाह की ‘रहमत’ रही,जो वे आज हमारे-आपके बीच हैं। इनलोगों ने उस दौर से यह सीख लिया कि यदि उनके दरवाजे कोई बेसहारा आये तो उसकी हर संभव मदद करो…पता नहीं किसकी ‘दुवाओ’ की वजह से वे आज हैं…। नवाबों के शहर लखनऊ में कुछ इसी तरह की सोच को लेकर चल रहे हैं डिस्ट्रीक कोर्ट के एडवोकेट एवं ‘परिवार’ ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो. वसीम सिद्दीकी।
वसीम सिद्दीकी ने तभी ठान लिया था कि उनका जीवन अब गरीब,मजलूम और कमजोर लोगों की मदद करने में बीतेगा। इसीलिये उन्होंने एक ट्रस्ट बनाया जिसका नाम ‘परिवार’ रखा…। परिवार में सभी धर्म,जाति,मजहब के लोग समाहित हो जाते हैं। ट्रस्ट में सेवानिवृत्त जज,अधिवक्ता, डॉक्टर्स,मीडिया एवं समाज से जुड़े बुद्धीजीवि वर्ग के लोग हैं,जो पीडि़त परिवारों की समस्याओं को सुनते हैं और उनका नि:स्वार्थ निवारण करने का काम करते हैं। अपनी कार्यशैली की वजह से श्री सिद्दीकी समाज में एकता,भाईचारा और इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं।
‘द संडे व्यूज़’ से बातचीत में वसीम सिद्दीकी ने बताया कि सितम्बर 2020 में वे कोरोना की चपेट में आ गये थे। एरा हॉस्पिटल में 10 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच जंग चल रही थी। मेरी आंखों के सामने ना जाने कितने लोग मौत के आगोश में समा गय्रे लेकिन मेरा हौसला नहीं टूटा। मैं खुद मरीज था लेकिन अपने वार्ड में भर्ती लोगों का हौसला बढ़ाता रहता था। जब हॉस्पिटल में भर्ती था तो मेरे शुभचिंतक मंदिर-मस्जिद,गुरुद्वारा में मेरी खैरियत की दुवाएं मांगते थे। दुवाओं की बारिश इतनी हुयी कि मैं हॉस्पिटल से दस दिनों बाद सकुशल घर वापस लौट आया। उस दरम्यान लोग अपनों को भूल गये थे,कोई हॉस्पिटल में भर्ती हो जाये तो परिजन ही देखने नहीं आते थे…।
खैर, ठीक होने के बाद मैंने सोचा कि जब ईश्वर ने नया जीवन दिया है तो समाज में कमजोर लोगों की नि:स्वार्थ मदद करने का काम किया जाये। इसके लिये मैंने परिवार नाम से संस्था बनाया जिसके 8 ट्रस्टी हैं। इसमें जज, अधिवक्ता, डॉक्टर्स,मीडिया एवं बुद्धीजीवि वर्ग के लोगों को शामिल किया गया है ताकि किसी भी स्तर की परेशानी हो,उससे लोगों को निजात दिलायी जा सके। सूबे में परिवार ट्रस्ट के लगभग दो हजार सक्रिय कार्यकर्ता मौजूदा समय काम कर लोगों को मदद पहुंचाने का काम कर रहे हैं। श्री सिद्दीकी ने बताया कि हमलोग विवादित मामलों को निस्तारित करने का काम करते हैं। इसके संस्था का केशवनगर,पुरनिया रेलवे क्रासिंग,पुरनिया पर द मैन काइंड हॉस्पिटल है,जिसमें ट्रस्ट से जुड़े सदस्यों के परिजन यदि भर्ती होते हैं तो उन्हें 50 प्रतिशत छूट दिया जाता है। संस्था कानूनी सहायता,स्वास्थ्य पर नि:शुल्क काम कर रही है और आने वाले समय में शिक्षा में काउंसलिंग का काम करने पर विचार कर रही है।