जयप्रकाश शुक्ला ‘जीएसटी विभाग’ में कार्यरत हैं और इनकी एक संस्था है ‘सामाजिक एकता परिषद’
सामने वाला व्यक्ति ‘तपा हुआ सोना‘ है,बस उसे सहारा देने की जरूरत है-जय प्रकाश शुक्ल
अक्षत श्री.
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हों या फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,इनका सपना है कि सरकारी मुलाजिम अपनी कार्यशैली से कुछ ‘अलग हटकर’ काम करें जिसे समाज सराहे…। कुछ ऐसा करे कि दुनिया भर में लोग सरकार और उनके नुमाइंदों की तारीफ करें…। ये तभी संभव है जब सरकारी ओहदे पर बैठे अधिकारी का जुड़ाव जमीन से हो,क्योंकि ऐसे इंसान को ही मालूम होता है कि गरीबी का दर्द क्या होता है…। वो ये जानते हैं कि यदि ‘अर्थ’ नहीं तो इंसान की सारी ‘योग्यता’ धरी की धरी रह जाती है…। ऐसे अधिकारी ‘बेबस‘ और ‘बेसहारा‘ लोगों की आवाज सुनकर ही परख लेते हैं कि सामने वाला व्यक्ति ‘तपा हुआ सोना‘ है,बस उसे सहारा देने की जरूरत है…। यूपी में एक ऐसे ही पीसीएस अधिकारी हैं जो समाज के गरीब तेजस्वी बच्चों को तराशने का काम करते रहे हैं,जिन्होंने प्रशासनिक अधिकारी होते हुये भी सामाजिक कार्य कर सरकार का नाम रौशन करने का काम किया है, जिनका नाम ‘जयप्रकाश शुक्ला’ है।
क्ला ‘जीएसटी विभाग’ में कार्यरत हैं और इनकी एक संस्था है ‘सामाजिक एकता परिषद’। संस्था ने ऐसे बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दिलाकर सरकारी ओहदों तक पहुंचाया,जो आर्थिक रुप से बेहद कमजोर थे , बच्चों को नि:शुल्क कॉपी-किताब दिलाने,सैंकड़ों दिव्यांगों को चलित दुकान ट्राई साइकिल बनवाकर सामान दिलाने सहित 350 से अधिक जोड़ों को वैवाहिक बंधन में जोडऩे का काम किया है।
पीसीएस जय प्रकाश शुक्ल का कहना है कि एक सरकारी सेवक का ‘मूलमंत्र’ होता है कि ‘समाज में कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे के सामने हाथ ना फैलाये, इसलिये मैं हमेशा ऐसे जरूरतमंद लोगों के मदद के लिये तैयार रहता हूं’। सबसे अच्छी बात यह है कि जय प्रकाश शुक्ल की पत्नी प्रीति शर्मा होमगार्ड विभाग में कानपुर की कमांडेंट हैं। इनका भी सरोकार सामाजिक कार्यों में रहता है। जय प्रकाश शुक्ल प्रशासनिक अधिकारी होने के बावजूद अपने प्रशासनिक दायित्वों का निर्वाह करने के साथ- साथ सामाजिक दायित्वों का खूब निर्वहन करते हैं। गरीब एवं दिव्यांग प्रतियोगी छात्रों की मदद को जीवन का मूलमंत्र लेकर चलने वाले लोकसेवक जयप्रकाश जब किसी बेसहारा को देखते हैं तो वह अपनी सीमा से परे जाकर उसकी सहायता करने की सोचते हैं। गरीब प्रतियोगी हो या समाज की मुख्य धारा से अलग-थलग कोई व्यक्ति, उसकी सीमा के बाहर जाकर सहायता करने का जज्बा उन्हें दूसरों से अलग करता है। गरीब, बेसहारा छात्रों को कॉपी, किताब, फीस, मेज-कुर्सी आदि देकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिये प्रेरित करते हैं। साक्षात्कार में शामिल हो रहे प्रतियोगियों के लिये वह मार्गदर्शक तथा अभिभावक की भूमिका में हमेशा खड़े रहते हैं।
इतना ही नहीं, कई वर्षों से प्रतियोगी छात्रों को अपने दोस्तों के सहयोग से स्कॉलरशिप के रूप में कुछ धनराशि प्रदान कर पढ़ाई में भी मदद करते आ रहे हैं। बात जो भी हो, 17 वर्षों से जयप्रकाश अपने साथियों के सहयोग से दिव्यांग, असहाय, गरीब युवक- युवतियों का धूमधाम से शादी के पवित्र बंधन में बांधने का काम करते चले आ रहे हैं। विवाह के दौरान वे नव दंपति को घर गृहस्ती का सामान उपलब्ध कराते हैं, जिससे नवदम्पति का पारिवारिक जीवन निर्वाह अच्छे से हो सके। अब तक 350 से अधिक जोड़ों को वैवाहिक बंधन में जोड़ा जा सका है।
इस बाबत पीसीएस अफसर जय प्रकाश शुक्ल का कहना है कि अपने साथियों से मिलकर सैकड़ों दिव्यांग लोगों को ट्राई साइकिल पर चलित दुकान बनवा कर,व्यवसाय के लिये सामान मुहैया करा चुका हूं, जिससे आज दिव्यांग आत्मनिर्भर होकर अपनी रोजी- रोटी चला रहे हैं। हमारी संस्था द्वारा महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिये सिलाई मशीन व सामग्री बांटा गया है।
सिविल सर्विसेज तैयारी के समय से ही जय प्रकाश शुक्ल गांधी अकादमी संस्थान के माध्यम से कई हजार छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान कर चुके हैं। उन्होंने इन सभी कार्यों के लिये कभी सरकारी मदद नहीं ली बल्कि अपने साथियों से मदद लेकर समाज के लिये सदा आगे बढ़ते रहें। यही वजह है कि आज गरीब एवं जरूरतमंद लोग अपने जरूरत के समय जयप्रकाश को हमेशा याद करते हैं और उन्हें भगवान के रूप में देखते हैं। जय प्रकाश शुक्ल ने गरीब, असहाय, दिव्यांगों को साल में कई बार धार्मिक एवं दार्शनिक भ्रमण भी कराते हैं। हरिद्वार, तिरुपति बालाजी, जगन्नाथपुरी और शिर्डी साईं धाम घुमा चुके हैं और इस बार वैष्णो देवी का प्रोग्राम बनाया गया है।
जय प्रकाश शुक्ल को संस्थाओं ने किया सम्मानित
1 . सर्वश्रेष्ठ उत्तर प्रदेश रत्न एवार्ड लखनऊ
2. दिव्यांगजन स्वाभिमान सम्मान प्रयागराज
3. किस्मत वेलफेयर सोसाइटी हरिद्वार, उत्तराखंड
4. जनहित दिव्यांग सेवा समिति दिल्ली