तब से अब तक :आज़ादी दिलाने वाले योगी…

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नवेद शिकोह

लखनऊ। 76 वर्ष पहले देश स्वतंत्र हुआ था, पर आज़ादी की लड़ाई जारी है। प्रत्येक दौर की हर लड़ाई में विजय दिलाने में भारत की आध्यात्मिक ताक़तें, साधू,महात्माओं और योगियों का योगदान महत्वपूर्ण रहा। अतीत के स्वतंत्रता संग्राम में 1947 में अपने समय के योगी स्वामी विवेकानंद और योगी अरविन्द घोष जैसों ने ब्रिटिश साम्राज्य के घमंड को तोड़ा तो वर्तमान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आजादी के लिहाज से सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की जड़ों में पेवस्त माफि यागिरी और दंगों के ख़ौफ से जनता को आज़ादी दिलायी। असुरक्षा और गुंडागर्दी की बेडिय़ों में जकड़े 24 करोड़ की आबादी वाली प्रदेश की जनता को एक योगी ने जो आजादी दिलायी है, इसकी कल्पना करना भी मुश्किल थी। स्वार्थ की राजनीति ने जिस तरह देश के इस अहम् राज्य को दशकों से जातिवाद की सियासत में जकड़ रखा था, इससे निजात के लिये भी जनता आजादी की जंग जीतना जैसा मानती है।

एक ज़माना था जब यूपी को बीमारू राज्य कहा जाता था। बीमारी एक नहीं थी, कई थी। इंतेहा से ज्यादा बेरोजगारी, बदहाली, व्यापारियों से लेकर किसानों की समस्याएं, त्योहारों का मतलब दंगे, असुरक्षित बेटियां, लव-जेहाद, बिजली संकट , भू-माफि याओं की दबंगई, आतंकवाद की पनपती नर्सरियां, रंगदारी, फि रौती, अपहरण, हत्याएं, राजनीतिक संरक्षण से संगठित अपराध करने वाले गैंग, पूर्वांचल में बच्चों की जिंदगी को अपना गुलाम बनाने वाली इंसेफेलाइटिस नाम की बीमारी…। ऐसी तमाम बीमारियों को खत्म या कम करना आसान नहीं था। एक योगी ने इन मुश्किलों से प्रदेश को आजाद कराने में अच्छी- खासी सफ लता दिला दी। नतीजतन, पूरा देश यूपी के मुख्यमंत्री की करिश्माई कार्यशैली और गुड गुडगवर्नेंस का क़ायल हो गया। अपराधियों और दंगाईयों से स्वतंत्रता पाने के लिये देशभर के राज्यों में बाबा का बुल्डोजर मॉडल की राह अपना रहा है। देश की जनता कहने लगी है कि योगी में अद्भुत शक्तियां होती हैं। अतीत से लेकर वर्तमान में धर्म, राष्ट्रधर्म निभाने में सफ ल होता है।

देश में आज़ादी की हर लड़ाई में भी आध्यात्मिक शक्तियों का योगदान रहा था। योगी, साधू, महात्माओं की दिव्य शक्तियों ने कभी अंग्रेजो की ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश साम्राज्य को हरा दिया तो वर्तमान में आजाद भारत के एक बड़े भू-भाग को आतंकवाद, माफि यागिरी और दंगों के भय की गुलामी से एक योगी मुक्त कर रहा है। अंग्रेजी हुकूमत से आजादी के बाद भी गुलामी के अंधेरे हमें तरह-तरह से घेरते रहे हैं। कभी जातिवाद ने सनातनी एकता को विभाजित किया तो कभी हिंदू – मुसलमानों के बीच नफ रत पैदा कर भारत को कमजोर करने की साजिशें होती रहीं। आबादी के लिहाज से भारत के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में ख़ासकर माफि याओं का साम्राज्य और आये दिन के दंगों के भय के अंधेरों में जनता घुटती रही। आज भगवान राम की जन्मस्थली के गौरव वाले उत्तर प्रदेश में सुरक्षा और सुकून की आशा की किरण विकास और खुशहाली की राह दिखा रहा है।

स्वतंत्रता दिवस आजादी की लड़ाई जारी रखने का संकल्प दिवस भी है। और अतीत से लेकर वर्तमान तक जारी संघर्ष में भागीदारी निभाने वालों के योगदान का अहसास करने का भी मौक़ा है। ये सच है कि गुलाम बनाने का वायरस हमें बार-बार घेरता रहा है ओर हम बार-बार गुलामी की ज़ंज़ीरों को तोड़कर आज़ाद भी होते रहे हैं। वजह ये है कि हमारे पास एंटी वायरस है। भारत की धरती आध्यात्मिक ताक़त की मालिक है। हर दौर में यहां दिव्य शक्तियां रूप बदल- बदल कर गुलाम बनाने के वायरस के खिलाफ एंटी वायरस बन कर आती रही हैं। स्वतंत्रता संग्राम की विजय से लेकर यूपी की बदहाली की गुलामी से लड़कर खुशहाली की आजादी हासिल करने वाले योगियों के पास आध्यात्मिक शक्तियों का एंटी वायरस भारत को विजय दिलाता रहेगा।


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