बी.एड. की फर्जी मार्कशीट लगाकर बनीं शिक्षक और लेती रही सैलरी,पीसीएस बनने पर छोड़ी नौकरी
ज्योति मौर्या की 6 साल की नौकरी, खड़ी कर ली 5 करोड़ की कोठी…
शेखर यादव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरी को मजाक बनाने वाले पीसीएस ज्योति मौर्या अब शासन से लेकर अवाम के लिये पहेली बन चुकी हैं। सुर्खियों में आने की कई वजह है। पीसीएस बनने से पहले बीएड की ‘फर्जी मार्कशीट’ लगाकर टीचर बनी,कमांडेंट मनीष दूबे से अवैध संबंध और काली कमाई वाली डॉयरी का खुलना…। सीधी बात करें तो ज्योति मौर्या ईमानदार नहीं भ्रष्ट महिला अधिकारी हैं। वर्ष 2011 में 72000 शिक्षकों की भर्ती निकाली गयी थी जिसमें बी.एड. मांगा गया था। ज्योति मौर्या का उस वक्त बी.एड. पूरा नहीं हुआ था। अंतिम तिथि वर्ष 2011 ही था लेकिन वे मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी। उन्होंने 2011 का फर्जी मार्कशीट बनाकर आवेदन कर दिया। जिस दिन काउंसलिंग हो रही थी न्यायालय ने शिक्षक भर्ती पर रोक लगा दी। तीन वर्ष बाद न्यायालय के फैसले के बाद फिर से ऑनलाइन आवेदन मांगा गया। ऑनलाइन आवेदन में स्पष्ट तौर पर निर्देशित किया गया था कि जिन अभ्यर्थियों ने वर्ष 2011 में आवेदन किया था,वही ऑनलाइन आवेदन करेंगे। बस इसी का फायदा उठाते हुये ज्योति मौर्या ने ऑनलाइन आवेदन में बी.एड. का प्राप्तांक भी डाल दिया और बी.एड. 2011 का फर्जी प्राप्तांक बनाकर संलग्न करा दिया जबकि हकीकत में ज्योति मौर्या ने वर्ष 2012 में बी.एड. पासिंग आउट किया है। इनका चयन प्राथमिक विद्यालय अजनौरा,जसवंतनगर,इटावा में किया गया। यानि,धोखेबाजी की नींव ज्योति मौर्या ने पहली नौकरी पाने के समय ही रख दी थी और उस राह में ये इतनी आगे निकल गयी कि अवैध कमाई ने इन्हें इस कदर अंधा कर दिया कि अपने परिवार की बलि तक देने पर आमादा हो गयीं।चौंकाने वाली बात यह है कि योगीराज में इस तरह की भ्रष्ट महिला अधिकारी को शासन में बैठे अफसरान बचाने में लगे हैं। क्यों ?
‘द संडे व्यूज़’ ने सबसे पहले पीसीएस ज्योति मौर्या और कमांडेंट मनीष दूबे द्वारा मिलकर व्हाटसअप पर अपने पति आलोक मौर्या की हत्या कराने की प्लानिंग का खुलासा किया। उसके बाद तो मीडिया में दोनों की जोड़ी ने खूब सुर्खियां बटोरी लेकिन अब हम सिर्फ ज्योति मौर्या की करोड़ों की संपत्ति से लेकर कूटरचित दस्तावेज लगाकर नौकरी पाने का खुलासा करेंगे। ये ‘द संडे व्यूज़’ नहीं बल्कि ज्योति मौर्या के पति आलोक मौर्या बता रहे हैं। शिक्षक बनने में फर्जी मार्कशीट लगाने के प्रकरण पर उन्होंने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को पत्र लिखकर हंगामा मचा दिया है। इटावा के जसवंतनगर में शिक्षक बनने के बाद वेतन लेकर ज्योतिम मौर्या ने साबित कर दिया कि वे सरकारी खजाने में सेंध लगाने का भी दम रखती हैं। पहली ही नौकरी कूटरचित एवं फर्जी मार्कशीट से शिक्षक फिर समीक्षा अधिकारी बनने के सफर तक ज्योति मौर्या को भ्रष्टाचार की रोटी खाने में मजा आने लगा।
इसी दौरान इन्होंने पीसीएस की परीक्षा दी और उसमें इनका चयन हो गया। पीसीएस में तो इन्होंने ओरिजनल मार्क शीट लगाया है लेकिन इन्हें ये समझ में आ गया कि सरकार ने उन्हें एसडीएम की कुर्सी पर बिठा दिया है तो अब डंके की चोट पर लूट लो…किसी की जुर्रत नहीं कि उनके खिलाफ कार्रवाई कर सके…। ये जिस जनपद में रहीं पैसा लेकर स्टे देना,मार्केटिंग इंस्पेक्टर,सप्लाई इंस्पेक्टर, लेखपाल से लेकर खनन माफियाओं से प्रति माह चार से पांच लाख रुपये की काली कमाई करने लगीं। ज्योति मौर्या ने ऑडियो में कुबूला है कि इलाहाबाद में उनकी 5 करोड़ की कोठी भी है। हिम्मत की दाद तो देनी ही चाहिये कि बेगुनाहों को फंसाने और खनन माफियाओं से वसूली की कहानी लिखने वाली मैडम बेखौफ होकर अवैध रकम की स्क्रीप्ट पर्सनल डायरी में लिखती थी। ये साबित करता है कि सरकार या शासन का किसी तरह तरह का डर उनके मन में नहीं था।
ज्योति मौर्या के बीएड के अंकपत्र की जांच होनी चाहिये। डॅायरी में लिखी गयी काली कमाई की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से करानी चाहिये ताकि इस बात का खुलासा हो कि आखिर इन्होंने कितने करोड़ की अवैध संपत्ति अर्जित की है ? इस समय ज्योति मौर्या चीनी मिल,बरेली में महाप्रबंधक पद पर तैनात हैं,वहां भी जांच करायी जाये तो इनके स्तर से बड़े फर्जीवाड़ा देखने को मिलेगा। बात जो भी हो,अब सरकार को तय करना है कि भ्रष्टाचार की नई इबारत लिखने वाली पीसीएस ज्योति मौर्या के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करे कि हराम की रोटी खाने वाले अधिकारियों के पसीने छूट जाये पीसीएस ज्योति मौर्या के पति आलोक मौर्या ने अपने बयानों से मीडिया में सनसनी मचा दी है। अपनी पत्नी ज्योति मौर्या पर अवैध संबंध से लेकर भ्रष्टाचार का रिकार्ड तोडऩे वाली ज्योति मौर्या का असली चेहरा जनता को दिखा दिया है।
बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को लिखे पत्र में उन्होंने खुलासा किया है कि ज्योति मौर्या सरकारी नौकरी पाने के लिये पहली सीढ़ी गलत तरीके से चढ़ी। वर्ष 2011 की विशिष्ट बी.टी.सी. शिक्षक भर्ती में ज्योति मौर्या ने फर्जी तरीके से कूटरचित अंक पत्र तैयार करआवेदन पत्र में गतल सूचना भरकर इटावा जनपद में शिक्षक के रुप में प्रशिक्षण के लिये प्राथमिक विद्यालय अजनौरा, जसवंतनगर में नियुक्ति पायी। जसवंतनगर में ग्रामीण बैंक में ज्योति मौर्या के नाम से एकाउंट नंबर 00051100210 2538, आईएफएससी कोड यूपीसीबी 00 इटावा, पेनकार्ड बीक्यूएमपी….. बी, मोबाइल नंबर 9453423719 दर्ज है। जब आवेदन हो रहा था उस समय ज्योति मौर्या का बी.एड.चल रहा था और इसकी अंतिम तिथि वर्ष 2011 ही था। अब नौकरी पाने की जल्दबाजी में आवेदन पत्र में प्राप्तांक की जगह को उन्होंने खाली रखा। पूर्णांक निश्चित होता है इसलिये उसे भरकर आवेदन कर दिया। एक वर्ष बाद काउंसलिंग शुरु हुयी। काउंसलिंग के समय सभी अभ्यर्थियों के हाथों में आवेदन पत्र दिया जाता है,उसी का फायदा उठाते हुये ज्योति मौर्या ने तुरंत खाली जगह पर अपना पूर्णांक भरकर काउंसलिंग कराया। उसी दिन न्यायालय ने पूरे भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी मामला तीन वर्ष तक न्यायालय में चलता रहा। न्यायालय का निर्णय आने के बाद पुन: ऑनलाइन आवेदन मांगा गया परन्तु उसमें यह उल्लेख किया गया कि जिन लोगों ने वर्ष 2011 में आवेदन किया था,वही लोग आवेदन करेंगे। इसका फायदा उठाते हुये ज्योति मौर्या ने इस बार ऑन लाइन आवेदन में बी.एड. का प्राप्तांक भी डाल दिया तथा बी.एड. 2011 का अंकपत्र फर्जी तरीके से बनवाकर संलग्न कर दिया जबकि ओरिजनल अंक पत्र में बी.एड. 2012 पासिंग आउट किया है।
सचिव को लिखे गये पत्र में यह भी लिखा है कि ज्योति मौर्या ने पहली ही नौकरी कूटरचित एवं फर्जी तरीके से हासिल की और उसी के आधार पर समीक्षा अधिकारी व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में इनका चयन हुआ था।वे पीसीएस बन गयीं,फिर क्या था। जो उन्हें रिश्वत देता,वे उसी के हक में फैसला सुनाने लगीं,उन्हें सिर्फ नोटों की गड्डी रास आने लगी और वे भ्रष्टाचार के दलदल में डूबती चली गयीं। ज्योति मौर्या के पति आलोक मौर्या ने बताया कि जब उनका ट्रांसफर होता तो अधिकारियों से कहती कि मेरे पति प्रतापगढ़ में अधिकारी हैं,इसलिये मेरा तबादला आसपास ही किया जाये ताकि परिवार के साथ रह सकूं। वे ट्रांसफर रुकवाने में भी मेरे नाम का दुरुपयोग करती रहीं और आज जब पूरे देश में बदनामी हो रही है तो मेरे ऊपर दहेज उत्पीडऩ और लाखों रुपये मांगने का फर्जी आरोप लगा रही हैं।
सीबीआई या विजीलेंस से जांच करा ली जाये कि इलाहाबाद में उनकी कोठी की कीमत क्या है ? आखिर ज्योति मौर्या ने छह साल की नौकरी में कितना सैलरी ले ली की पांच करोड़ की कोठी खड़ा कर ली ? शासन को जांच करनी चाहिये कि फर्जी मार्क शीट उन्होंने कहां से बनवाया,इससे फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गैंग का खुलासा होगा। जब सरकार फर्जी मार्कशीट से नौकरी पाने वालों को जेल भेज रही है तो ज्योति मौर्या पर मेहरबानी क्यों ? इन्हें भी जेल की सलाखों में भेजा जाये। इस बारे में ज्योति मौर्या के नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की गयी लेकिन मोबाइल स्वीच ऑफ था।