सपा-बसपा सरकार में हुए घोटालों में नेताओं-अधिकारियों की बढ़ेंगी मुश्किलें

0
186

लखनऊ।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को मेरा बूथ सबसे मजबूत संवाद कार्यक्रम के दौरान जिस तरह विपक्षी को घेरा और घोटालेबाजों पर कार्रवाई की ‘गारंटी’ ली, उससे लगभग छह वर्ष पूर्व की सपा और बसपा सरकार के दौरान हुए आधा दर्जन से अधिक बड़े घोटालों की जांच में अब और तेजी आएगी। इससे लोकसभा चुनाव से पहले ही जांच एजेंसियां घोटालों में कड़ी कार्रवाई कर सकती हैं। भ्रष्टाचार पर वार की रणनीति से प्रदेश के कई बड़े नेताओं व अधिकारियों की मुश्किलें अब बढ़ती नजर आ रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी लगातार भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्रवाई के संकेत देते रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने मंगलवार को विपक्षी दलों को घेरा था और सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा था। वर्तमान में सपा शासनकाल में हुए गोमती रिवर फ्रंट व खनन घोटाले की जांच सीबीआई व ईडी दोनों कर रहे हैं। नवंबर 2017 में सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने रिवर फ्रंट घोटाले में सिंचाई विभाग के तत्कालीन चीफ इंजीनियर गुलेश चंद (अब सेवानिवृत्त) सहित आठ अधिकारियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू की थी। इस घोटाले में जांच की आंच तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव तक भी पहुंच सकती है।

सिंचाई विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव दीपक सिंघल व मुख्य सचिव आलोक रंजन (अब दोनों सेवानिवृत्त) के विरुद्ध पूछताछ की अनुमति भी दी जा चुकी है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में सीबीआई ने तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव से पूछताछ की अनुमति भी मांगी थी।बहुचर्चित खनन घोटाले में भी सपा नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने मार्च, 2017 में खनन घोटाले की जांच आरंभ की थी, जो अभी चल रही है। इस मामले में सपा सरकार के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति जेल में हैं। ईडी भी वर्ष 2019 से खनन घोटाले में जांच कर रहा है।

वहीं, बसपा शासनकाल में हुए 1100 करोड़ रुपये से अधिक के चीनी मिल घोटाले की भी सीबीआई जांच चल रही है। वर्ष 2010-11 में सरकारी चीनी मिलों को औने-पौने दामों में बेचे जाने के मामले में बसपा के पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल की भी बड़ी भूमिका सामने आई थी। मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती की भूमिका भी सवालों के घेरे में रही है।इसके अलावा, बसपा शासनकाल में हुए 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबू सिंह कुशवाहा नामजद आरोपी हैं। अब दोनों ही नेता बसपा से नाता तोड़ चुके हैं। नसीमुद्दीन कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष हैं और बाबू सिंह ने अपनी जन अधिकारी पार्टी का गठन कर लिया था। इस घोटाले में मायावती के करीबी रहे कई अधिकारियों की भी गर्दन फंसी है। बिजली कर्मियों की भविष्य निधि की रकम के घोटाले की भी सीबीआई जांच चल रही है। दिल्ली-सहारनपुर यमनोत्री हाईवे के निर्माण में धांधली की भी जांच चल रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here