रघु ठाकुर
भोपाल। आज लोहिया सदन भोपाल में स्व. साथी पुष्पेन्द्र पाल सिंह प्रभारी माध्यम एवं पूर्व आचार्य पत्रकारिता विश्वविद्यालय की श्रृद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ। सभा में प्रख्यात समाजवादी नेता रघु ठाकुर ने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि स्व. पुष्पेन्द्र पाल सिंह के जीवन के तीन कालखण्ड है। एक उनके युवावस्था और समाजवादी आंदोलन के कार्यकर्ता का काल, दूसरा-माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के अध्यापन का काल और तीसरा माध्यम और जन संपर्क में सरकारी सेवा का काल…। पुष्पेन्द्र पाल सिंह के अध्यापन काल की चर्चा काफी हुयी है और किस प्रकार उन्होंने छात्रों को सहयोग दिया उनके पढऩे से लेकर उनके रोजगार के लिये उन्होंने मदद की। यह आज की युवा पीढ़ी के पत्रकारों के लिये छिपा नहीं है। मुझे याद है कि कई बड़े-बड़े नामधारी लोग उस काल में मुझसे कहते थे कि माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय का चेहरा तो पुष्पेन्द्र पाल सिंह हैं, हालांकि यह बात अलग है कि दुनिया के चलन के अनुसार इनमें से काफी लोग बाद में बदल गये।
जब लाचार होकर उन्होंने माध्यम का माध्यम पकड़ा तो वहां भी उन्होंने अपने कुशल प्रबन्धन और क्षमता का प्रदर्शन किया। यहाँ तक कि कुछ लोग यह भी कहते हैं कि उन्होंने शासन की बेढोल मूरत को अपनी कल्पना और कलम से सुंदर मूरत में तब्दील कर दिया। यह बात भी सही है कि सरकारी कामकाज को एक बेहतर ढंग से उन्होंने प्रस्तुत कर सरकार की छवि निर्माण में पूरा योगदान दिया और इसके लिये इतना अधिक परिश्रम किया तथा तनाव झेला कि अपना जीवन दांव पर लगा दिया। उनकी असमय और अचानक मृत्यु ने हम सबको और बहुतों को दुख पहुंचाया। मुझे तो इसलिये और अधिक दुख है क्योंकि अपनी कम उम्र में वह मेरे सम्पर्क में आये थे और लगभग 15-20 वर्ष का युवा जीवन उन्होंने मेरे साथ बिताया था। 1985-86 में जब वह मेरे संपर्क में आये और जबके समाजवादी रंग में रंग गये। उनके इस जीवन कालखण्ड की चर्चा लगभग नही हो सकी है क्योंकि पत्रकारिता के अध्यापन और सरकारी सेवाकाल का समय ही मीडिया और लोगों की नजऱों में रहा।
जब में लोकदल मध्य प्रदेश का अध्यक्ष था तब से पुष्पेन्द्र ने मेरे साथ काम शुरू किया था और सागर में पार्टी के काम मेें हाथ बंटाना शुरू किया था। हमारे साथ रहकर उन्होंने डॉ. लोहिया को पढ़ा, समझा, लोहिया के अनुयायी और समाजवादी बने। लोकदल में उस समय स्व. चौधरी चरण सिंह अखिल भारतीय अध्यक्ष थे। पुष्पेन्द्र जनता दल में भी हमारे साथ काम करते रहे। हमने उन्हें पहले जिला पार्टी पदाधिकारी बनाया और बाद में जब में समाजवादी पार्टी का महामंत्री था तब युवजन सभा का अध्यक्ष बनाया। पुष्पेन्द्र ने मेरे साथ बहुत सारे दौरे, समाजवादी प्रचार-प्रसार और चुनाव में पार्टी के लिये प्रचार इत्यादि का काम किया। 1997-98 में जब मंैने समाजवादी पार्टी से अलग होकर लो.स.पा. बनायी तब वे हमारे साथ आकर लो.स.पा. के सदस्य बनें और जीवन के आखिरी क्षण तक जुड़े रहें।
पुष्पेन्द्र न केवल वाणी से बल्कि कर्म से भी समाजवादी थे। जिनके मन में कभी कोई छोटे-बड़े का, धर्म-जाति का भेद नहीं था। पुष्पेन्द्र सभी का मित्र था परन्तु किसी का भी शत्रु नही था। और कोई कितनी भी आलोचना करता रहा हो यदि वह पुष्पेन्द्र के पास आया तो पुष्पेन्द्र ने खुले मन, पूरी श्रद्धा से उसकी मदद की। जब वह प्रोफेसर बनके माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय पहुंचे तब उन्होंने गाँधी माक्र्स और समाजवाद के ऊपर मुझे एक सप्ताह तक लगातार बोलने के लिये आमंत्रित किया था। इसमें विद्यार्थियों की गहरी सहभागिता हुयी और हर भाषण के बाद में वह अपने संशय का निराकरण भी करते थे। हालांकि अपने सहकर्मि यों के ईश्या-द्वेष और वैचारिक मत विभिन्नता का शिकार पुष्पेन्द्र को बनना पड़ा। कतिपय एकात्मक मानववाद की चर्चा करने वाले कुछ सहकर्मियों ने तो पुष्पेन्द्र पाल को बहुत अपमानित भी किया और पीड़ा भी पहुंचायी परन्तु
उसने हंसते-हंसते सब सह लिया।
पुष्पेन्द्र की अचानक मृत्यु हम सभी के लिये आश्चर्यजनक और अविश्वसनीय घटना है। वह मेरे लिये बेटे के समान, सेवा भावी, विचारधारा का साथी, पार्टी का सहकर्मी और सभी की चिंता व मदद करने वाला समाजसेवी था। मैं उसे अपनी ओर से, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी और समाजवादी साथियों की ओर से श्रृद्धांजलि अर्पित करता हंू और उम्मीद करता हूं, पुष्पेन्द्र जैसे और युवा तैयार होंगे जो देश व समाज के लिये समर्पित रहेंगे। श्रृद्धांजलि सभा को अरूण पटेल, मुकेश वर्मा, डॉ. शिवा श्रीवास्तव, इफ्तियार खान, अजय श्रीवास्तव मेहताब आलम, सुबिन सिन्हा, आनंद जाट, प्रताप मलिक, सी.पी.आई. सचिव शैलेन्द्र शैली, संतोष ठाकुर, हाजी मोहम्मद, यश यादव, भूपेन्द्र, जी.पी. चाँदवानी, स्वरूप गांवदे ने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। सभा का संचालन समता ट्रस्ट के अध्यक्ष मदन जैन ने किया और भाई पुष्पेन्द्र को याद करते हुये कहा कि वह ट्रस्ट के प्रत्येक कार्यक्रम में आते थे तथा ट्रस्ट की प्रत्येक गतिविधियों में तन, मन, धन से सहयोग करते थे। ट्रस्ट उनकी सेवाओं को नहीं भुला पायेगा। इस मौके पर ट्रस्ट उनके प्रति विनम्र श्रृद्धांजलि अर्पित करता है।