अक्षत श्री.
लखनऊ। भारत भावनाओं से बना एक राज्य है, एक देश है जहां हर एक की भावनाओं की कद्र होती है चाहें वह अमीर हो या गरीब, हिन्दू हो या मुस्लिम...। यह भावनात्मक एकता ही हमारे देश को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाती है, एक ऐसा लोकतंत्र जहां हर एक व्यक्ति अगर सुख में नहीं तो कम से कम दु:ख में सामने वाले के साथ खड़ा रहता है, एक ऐसा लोकतंत्र जहां एक अनजान व्यक्ति भी अगर किसी को घायल देखता है तो उसकी सहायता करता है, एक ऐसा लोकतंत्र जहां बिना किसी रिश्ते के भी कोई दुर्घटना घटने पर पूरा देश पीडि़त के साथ खड़ा हो जाता है। यहां तक की हमारे राजनैतिक क्षेत्र में भी यदि विपक्ष के किसी नेता के संग कोई दुर्घटना घटती है तो हम सब एकजुट हो कर हर संभव सहायता के लिये तत्पर रहते हैं, क्योंकि इस देश की संस्कृति है की लोगों के बीच, हमारे बीच ‘मतभेद’ तो हो सकता है लेकिन ‘मनभेद’ कभी नहीं…।
मगर इसी समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो हर एक गरिमा, कायदे को दर किनार कर केवल और केवल नफरत फैलाते है, उन्हें इस बात से जरा भी फर्क नहीं पड़ता की सामने वाला किस पीड़ा,किस मुश्किल वक्त से गुजर रहा है। बीते कुछ दिनों से मेरे सुपुत्र की तबियत खराब है, वह डेंगू से पीडि़त है और इसी बीच कुछ अमानवीय लोगों द्वारा कई अफवाहें, मनगढंत कहानियां फैलाई जा रही है, जिनके बारे में मैंने कई माध्यमों से सत्य बता दिया है और इस संदेश में मैं उस विषय पर ज्यादा कुछ नहीं बताऊंगा, क्योंकि जनता को जो जानना चाहिये वह पता है, जो सच है वह पता है।
मैं बस यही कहूंगा की एक जन नेता, मंत्री होने से पहले मैं एक पिता हूं। हमारी संस्कृति में बेटियों को पूजा जाता है और मेरा व्यक्तिगत यह मानना है की अगर आपके घर में बेटी है तो मतलब आपके घर में ईश्वर स्वयं वास करते है। एक बेटी की शादी में पिता अपने जीवन भर की खून- पसीने की कमाई लगा देता है…। एक पिता का सपना होता है की उसकी बेटी की विदाई इतनी भव्य हो की कोई चूक न रह जाये…। मुझे यह सब बातें ज्ञात है क्यूंकि मुझे खुद ईश्वर ने 2 बेटियों के रूप में आशीर्वाद दिया है। मैं, बहू और उसके पूरे परिवार पर क्या बीती, वह हृदय से महसूस कर सकता हूं…।
मैं एक पिता का दर्द महसूस कर सकता हूं, और वह लोग भी मेरा दर्द महसूस कर रहे हैं, तभी मेरे बेटे और मेरे साथ खड़े है…। वह सब अमानवीय लोग जो अपने राजनैतिक, व्यक्तिगत फायदे के लिये मेरे बेटे के स्वास्थ और साथ में मेरी बेटी जिसे मंडप से उठ के आना पड़ा, इनका मजाक बना अनर्गल बातें फैला रहे है, उन सब को मेरा एक ही संदेश है कि आपको एक पल के लिये संतुष्टि जरूर मिल जायेगी मगर ऐसी हरकतों से आपकी छोटी मानसिकता और अमानवीयता दिखती है जिसके लिये मैं ईश्वर से प्रार्थना करुंगा कि वह आपको सद्बुद्धि दे और यह प्रार्थना करुंगा कि अगर आपके घर में भी कोई बेटा-बेटी हो तो उसे इस पीड़ा से न गुजरना पड़े…।