संजय पुरबिया
लखनऊ।
ओपी राजभर ने कहा कि हम पिछड़ों की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमें रास्ते से भटकाने के लिए ये नुकसान किया जा रहा है। सपा चार बार सरकार में थी, तब पिछड़ी जातियों को कितना सिपाही बनाए थे। सौ फिसदी सपा इस टूट के पीछे है।कहा कि सुभासपा की बढ़ती हुई लोकप्रियता से सपा परेशान है। इसका मैं सबूत दूंगा। उनके नौ रत्नों में दो रत्न सुभासपा को तोड़ने में लगे हुए हैं। एक रत्न मऊ का है और एक लखनऊ का रत्न है, जो एक पर्चा नहीं भर पाया।उन्होंने कहा कि जो अपना बूथ नहीं जीता सके, वे हमारा मुकाबला करने आए हैं। वे लोग अपनी-अपनी पार्टी बचा लें। ये अखिलेश यादव के नवरत्न हैं. लखनऊ वे रत्न उदवीर सिंह हैं, बाद में भागकर घर चले आए थे। वहां पर सपा के गुंड़ों ने ही उनकी पिटाई कर दी थी। मऊ वाला रत्न राष्ट्रीय प्रवक्ता है, जो विधानसभा में पैसा देकर टिकट मांग रहा था. लेकिन नहीं मिल सका। उसको मेरी पार्टी खत्म करने के लिए लगाया गया है।
ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश को धोखेबाज बताते हुए कहा कि अंगुर जब लोमड़ी नहीं पाती तो कहती है अंगुर खट्टे हैं। जो लड़ाई हम लड़ रहे हैं ये लड़ाई महात्मा गौतम बुद्ध और ज्योतिबा फुले की है। जब इस देश में वर्ण व्यवस्था बनी तो चार वर्ग आया था। इसमें पिछड़ों को शिक्षा नहीं देने की बात कही गई। ये कौन पिछड़े थे। इस पिछड़ों की लड़ाई को लेकर अपनी लड़ाई शुरू की थी।सुभासपा प्रमुख ने आगे कि तब उनके पिता ने ही उन्हें घर से बाहर कर दिया था। अगर महात्मा ज्योतिबा फुले अगर अपने पिता की बात मानकर लौट गए होते हम आपके सामने बयान नहीं दे रहे होते। बाबा साहेब अंबेडकर का भी विरोध हुआ था, अब उनका बनाया हुआ संविधान पूरा देश पढ़ रहा है। अब कोई बात हो रही है तो संविधान के दायरे में सारे काम हो रहे हैं।