मानवता हुई शर्मशार

भले ही सरकार स्वास्थ सेवाओ को लेकर गंभीर हो और करोड़ों रुपए एम्बुलेंस सेवा पर बर्बाद करती हो लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही वयां करती है । जी हाँ महोबा जिले में एक मानवता को शर्मसार करने बाली तस्वीरे सामने आई है एक गरीब व्यक्ति जो अपनी माँ को इलाज के लिए 20 किलोमीटर रिक्शा चलाकर लाता है । लेकिन स्वास्थ बिभाग द्वारा एक गरीब को एम्बुलेंस तक मुहैया नही कराई जाती ।

सरकार मरीजो को बेहतर इलाज और उनके आने जाने के लिए एम्बुलेंस मुहैया कराती है लेकिन क्या यह एम्बुलेंस गरीबो को मिल पाती है या नही । जी हाँ अब जरा इस रिक्से में पड़ी इस बूढ़ी माँ को देखिए जिसको उसका बेटा मरे हुए जानवरो को ढोने बाले रिक्शा में लेकर जा रहा है क्योकि इसकी मां वीमार है और इसने श्रीनगर कस्वे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दिखाया था लेकिन माँ की हालत खराव होने पर डॉक्टर ने जिला अस्पताल के लिए रिफर कर दिया अब इस गरीब के पास इतना पैसा नही था कि वह कोई गाड़ी या प्राइवेट एम्बुलेंस किराए पर ले सके इसलिये इसने अपने
रिक्सा में लिटाकर 20 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल ले आया और माँ का इलाज कराया हद तो तब हो गई जब जिला अस्पताल से भी एम्बुलेंस न मिलने पर अपने रिक्से पर फिर अपनी माँ को लेकर अपने घर श्रीनगर के लिए निकल पड़ा । आखिर कहां गई वह मानवता जो एक गरीब को तपती धूप में अपनी माँ को इस कदर रिक्से में ले जाने को मजबूर करती है कहाँ गया जिला प्रसाशन का वह दावा की जिले में एम्बुलेंस सही काम कर रही है । आज के समय मे ऐसे श्रवण कुमार बहुत कम देखने को मिलते है जो अपनी माँ की सेवा जी जान से करता हो नही तो आजकल सब कुछ होते हुए भी लोग बूढ़े मां-बाप को अनाथालय में छोड़ देते है ।
– रामकृपाल (मां को रिक्से से लाने बाला)- रामकृपाल ने बताया कि वह श्रीनगर से अपनी माँ को इलाज के लिए दिखाने लाया था और यहां पर डॉक्टर ने इलाज करके कहा कि अब ले जाओ तो अपनी माँ को लेकर घर जा रहे है

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