फ्रांस ने रविवार को मास्को के लुज्निकी स्टेडियम में फीफा विश्व कप के 21वें संस्करण में अपनी बादशाहत साबित कर दी. फ्रांस ने फाइनल में क्रोएशिया को 4-2 से पराजित किया, उसका ये दूसरा विश्व कप खिताब है. फ्रांस 1998 में पहली बार अपने घर में खेले गए विश्व कप में फाइनल खेली थी और जीतने में सफल रही थी. इसके बाद 2006 में उसने फाइनल में जगह बनाई थी, लेकिन इटली से हार गई थी। पिछली बार जब फ्रांस ने खिताब जीता था, तब डिडिएर डेस्चैम्प्स टीम के कप्तान थे और अब वह कोच हैं, वह खिलाड़ी और मैनेजर के तौर पर खिताब हासिल करने वाले तीसरे खिलाड़ी बन गए हैं। उनका नाम मारियो जागालो व फ्रांज बैकेनबॉर की सूची में जुड़ गया हैं। फ्रांस ऐसा छठा देश बन गया है, जो एक या अधिक बार विश्व चैंपियन बना हो। इससे पहले ब्राजील (5), जर्मनी (4), इटली (4), अर्जेंटीना (2) और उरुग्वे (2) ये कमाल कर चुके हैं।
गौरतलब है कि फीफा वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में जैसे ही फ्रांस के गोलकीपर ह्यूगो लोरिस ने गेंद विपक्षी टीम के हाफ की ओर मारी, रेफरी ने सीटी बजा दी। नीली जर्सी में मौजूद फ्रांसीसी टीम के खिलाड़ी एक दूसरे के गले मिलने लगे, रोने लगे, चिल्लाने लगे। पूरा लुजनिकी स्टेडियम जश्न के शोर में डूब गया। आखिर ये होता भी क्यों नहीं। 20 साल बाद फ्रांस एक बार फिर फुटबॉल का सरताज बन चुका था। वहीं दूसरी तरफ लाल-सफेद जर्सी में मौजूद क्रोएशिया टीम आंसुओं में डूबी थी। खुद को संभालते हुए 40 लाख की आबादी वाले इस मुल्क के प्लेयर्स फ्रांस के सम्मान में तालियां भी बजा रहे थे।
दरअसल क्रोशिया पहली बार उद्घाटन में से फाइनल में पहुंचा था क्रोएशिया पहली बार फाइनल में पहुंचा था। उसने अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किए और अपने कौशल और चपलता से दर्शकों का दिल भी जीता लेकिन आखिर में जालटको डालिच की टीम को उप विजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा। बेशक क्रोएशिया ने बेहतर फुटबॉल खेली लेकिन फ्रांस अधिक प्रभावी और चतुराईपूर्ण खेल दिखाया, यही उसकी असली ताकत है जिसके दम पर वो 20 साल बाद फिर चैंपियन बनने में सफल रहा।