होमगार्ड विभाग : मुख्यालय से होता है ‘भ्रष्टाचार’ का खेल, भ्रष्टाचार के ‘पुराने खिलाड़ी’ हैं विनय मिश्र

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. होमगार्ड विभाग: सपा सरकार में नोयडा कमांडेंट विनय मिश्र ने तोड़ा था अवैध वसूली का रिकार्ड,चैनल ने किया था खुलासा 

. आलमबाग थाने में संजीव शुक्ला ने चैनल के स्टींग ऑपरेशन के बाद कराया था तीन कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर

. पूर्व डीआईजी आर.बी.सिंह ने कमांडेंट विनय मिश्रा को बचाया,कमलेश चौहान,राजीव हुड्डा, योगेन्द्र के नाम दर्ज मुकदमा

. स्टींग ऑपरेशन में जवानों ने बताया हर माह होता है 25-30 लाख की वसूली,कमांडेंट की जेब जाता है माल

. विनय मिश्र का खास भूपेन्द्र विक्रम सिंह 8 वर्ष से जमा है राजपत्रित पटल पर,कर रहा है खेला,शिकायतों पर नहीं होता कार्रवाई

 संजय पुरबिया

लखनऊ। होमगार्ड विभाग में भ्रष्टाचार का गेम ‘मुख्यालय’ से खेला जा रहा है। ‘गेमर’ कोई और नहीं ‘2009 से 2013′ तक कमांडेंट, गाजियाबाद रहे विनय कुमार मिश्र हैं। उस दौरान आईबीएन 7 ने गाजियाबाद में जवानों से ड्यूटी के नाम पर जमकर हो रहे भ्रष्टाचार का खुलासा किया था। स्टींग आपरेशन में दिखाया गया था कि ट्रैफिक सहित गाजियाबाद में कितने लाख की वसूली होती है और इसमें से लगभग 60 हजार रुपये प्रति माह कमांडेंट की जेब में जाता है। ट्रैफिक, कलेक्ट्रेट, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण सहित अन्य संस्थानों में ड्यूटीलगाने की नाम पर कमांडेंट के खास गुर्गे वसूली करते थे। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में तो 100 जवानों का मस्टर रोल बनता था और सिर्फ 40 जवानों की ड्यूटी लगायी जाती थी। यानि 60 जवानों का फर्जी मस्टर रोल बनता था। ये खेल तात्कालीन कमांडेंट विनय मिश्रा जी कराते थे। खैर, खुलासा होने के बाद तात्कालीन डीजी के निर्देश पर जेएसओ संजीव शुक्ला ने आलमबाग थाने में 3 कर्मचारियों कमलेश चौहान, राजीव हुड्डा और योगेन्द्र के खिलाफ धारा 7-13 में एफआईआर दर्ज कराया। विभागीय जांच चली और विनय मिश्रा ने तात्कालीन डीआईजी आर.बी.सिंह से सेटिंग कर अपने को बचा लिया,जबकि सारा खेल कमांडेंट के इशारे पर ही होता था,जो आज भी बदस्तूर जारी है। मुकदमा अभी भी चल रहा है। इसी तरह, वाराणसी में तैनाती के दौरान भी मिश्रा ने जो कारनामे किये, सभी की जुबां पर रहा…। मिश्रा जी वर्तमान में मुख्यालय पर स्टॅाफ अफ़सर टू कमांडेंट जनरल के पद पर तैनात हैं और जमकर तबादला एक्सप्रेस चला दिया। राजपत्रित अधिकारियों ने बताया कि मिश्रा जी की चाहत डीआईजी की कुर्सी पाने की है,इसीलिये बारंबार मुख्यमंत्री कार्यालय तक पत्रावली भेजते हैं लेकिन वहां पर जीरो टॉलरेंस की सख्ती की वजह से पत्रावली वापस लौट आती है। मिश्रा जी को मालूम है कि जब तक मुख्यालय पर तैनात रहेंगे येन-केन प्रकारेण अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं और पुरानी पत्रावलियों को दबाने में कामयाब रहेंगे वर्ना…। बहरहाल, जिलों में तैनात अफसर इनकी कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं और कहते हैं कि जब मिश्रा जी पूर्व में मुख्यालय पर एसएसओ के पद पर तैनात थे तो इनकी दुबारा यहां पर तैनाती किस नियमावली के तहत हुयी ? बात जो भी हो, विनय मिश्रा अपने तबादला एक्सप्रेस में बड़ा खेला करने में कामयाब रहें।

1– 25 सितंबर 2012 को आलमबाग थाने में तात्कालीन डीजी के निर्देश पर जेएसओ संजीव शुक्ला ने एफआईआर दर्ज कराया था। आईबीएन 7 में नोयडा गौतमबुद्धनगर में होमगार्ड विभाग में जवानों की ड्यूटी लगाने के नाम पर हो रही अवैध वसूली का खुफिया कैमरे से रिकार्डिंग किया गया था। आलमबाग थाने में संजीव शुक्ला द्वारा दर्ज एफआईआर में लिखा है कि तात्कालीन जिला कमंाडेंट विनय मिश्रा के खास गुर्गे कमलेश चौहान वर्तमान में इंस्पेक्टर पद पर तैनाती,राजीव हुड्डा अवैतनिक कंपनी कमांडर एवं योगेन्द्र बीओ के खिलाफ धारा 7-13 भ्रष्टाचार में मुकदमा दर्ज किया गया। खुफिया कैमरे में हुए स्टींग अॅापरेशन में तीनों का बयान है कि वे किस तरह से जवानों की ड्यूटी लगाने के नाम पर पैसा वसूलते हैं और उसका बड़ा हिस्सा अधिकारियों को देना पड़ता है। कैमरे के सामने नोट गिनते हुये योगेन्द्र बोल रहा है कि कमंाडेंट साहेब को तो सीधे सीधे तीन लाख रुपये होंगे। आज की डेट में 15 कंपनियां चल रही है तो इतना तो देना ही होगा….। एक होमगार्ड बोल रहा है कि हमारा कितना भी बड़ा अधिकारी हो,इस काम में सब शामिल होते हैं। यानि 1000 होमगार्डों की ड्यूटी लगाने के नाम पर प्रति माह 10 लाख रुपये की अवैध कमाई होती है। होमगार्ड की मानें तो रोजाना ड्यूुटी लगाने के नाम पर 50 से 100 रुपये। यानि सभी होमगार्ड कम से कम डेढ़ हजार रुपये और ज्यादा से ज्यादा 3000 रुपये की कमाई। यानि कम से कम से कम 25 से 30 लाख रुपये तो बनते ही बनते हैं। हालांकि ‘द संडे व्यूज़’ अवैध वसूली के रकम की पुष्टि नहीं करता है होमगार्डों ने बयां किया कि हमलोगों को 4800 रुपये तनख्वाह मिलता है और 4000 रुपये डयूटी लगवाने के नाम पर दे देते हैं। कमांडेंट विनय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई के लिये पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और डीजीपी को 50 होमगार्डों ने अपने आईडी सहित शिकायती पत्र लिखा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी। आखिर हमलोग क्या करें…

2–विनय मिश्रा का दूसरा कारनामा वाराणसी का है। राजपत्रित अधिकारियों ने बताया कि वाराणसी में जिला कमांडेंट के पद पर तैनाती के दौरान सैंकड़ों होमगार्डों को बिना मुख्यालय की अनुमति के फ र्जी तरीके से ड्यूटी पर तैनात कर दिया। इतना ही नहीं, उसका भुगतान भी कर दिया गया, जिसमें लाखों रूपये की अनिमित्ता की गयी थी जिसे सम्प्रेक्षा के दौरान अंकित किया गया था। जब विनय मिश्रा मुख्यालय पर एसएसओ के पद पर तैनात हुये तो पत्रावली को दफन करा दिया।

3– भूपेन्द्र विक्रम सिंह लगभग 8 वर्षों से राजपत्रित पटल का कार्य देख रहे हैं। राजपत्रित अधिकारियों ने बताया कि समूह ग एवं घ के अधिकारियों व कर्मचारियों के ‘तबादला एक्सप्रेस’ में विनय मिश्र के साथ खूब ‘बैटिंग’ की। जिलों में फोन कर ‘तबादला कराने’ का ‘पत्र’ मंगाने से लेकर ‘फीस’ वसूली के काम को इन्होंने बखूबी अंजाम दिया। जब यह प्रधान सहायक थे तो अधिष्ठान का कार्य करते थे। उसके बाद प्रशासनिक अधिकारी होने पर भी अधिष्ठान एवं शिकायत का काम कर रहे हैं। पत्रावली प्रशासनिक अधिकारी के बाद मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से स्टॉफ आफ ीसर टू कमांडेंट जनरल को प्रस्तुत किये जाने के आदेश हैं परन्तु भूपेन्द्र विक्रम सिंह द्वारा पत्रावली सीधे स्टॅाफ आफ ीसर टू कमांडेंट जनरल को प्रस्तुत की जाती है। श्री सिंह की शिकायत दूरभाष पर एवं लिखित तौर पर मुख्यालय के उच्चाधिकारियों को की गयी है परन्तु विनय मिश्र का खास होने के कारण इनका कोई कुछ नहीं करता है। बताया जाता है कि अधिकारियों के पुराने प्रकरण जो समाप्त हुये कई वर्ष हो चुके हैं , उस पर शासन या डी.जी. द्वारा जांच कराकर बंद कर दिये गये है को पुन: धन उगाई करने हेतु ऐन- केन तरह से उठाता है और पैसे की मांग करता है, जिसकी शिकायत कई अधिकारियों द्वारा दूरभाष पर किये जाने के कारण डी.जी. द्वारा पद सहित स्थानान्तरण किये जाने हेतु कहा गया परन्तु श्री मिश्र द्वारा इसे बनाये रखा गया। इतना ही नहीं, तथा इसका पटल भी परिवर्तन नहीं किया गया, जो पटल परिर्वतन के शासनादेश के विरूद्ध है।

क्रमश…

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