ब्यूरो,लखनऊ।छठे चरण की 14 सीटों पर 162 प्रत्याशी मैदान में हैं। इस चरण में पूर्व मंत्री मेनका गांधी, कृपाशंकर सिंह, जगदंबिका पाल, दिनेश लाल यादव निरहुआ, धर्मेंद्र यादव, भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी, लालजी वर्मा जैसे नेताओं के भाग्य का फैसला मतदाताओं को करना है। 2019 के चुनाव पर नजर डालें तो इस चरण की नौ सीटों पर भाजपा, चार पर बसपा और एक पर सपा जीती थी। हालांकि, उपचुनाव में सपा को आजमगढ़ सीट गंवानी पड़ गई थी।
भदोही लोकसभा सीट
इस सीट पर भाजपा ने डा. विनोद बिंद को मैदान में उतारा है। सपा ने यह सीट टीएमसी को दी है और उसने पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के पपौत्र ललितेशपति त्रिपाठी को उतारा है। एक बार विधायक रहे ललितेशपति पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, बसपा ने सुरियावां क्षेत्र से चार बार जिला पंचायत सदस्य रहे हरिशंकर चौहान पर भरोसा जताया है। डा. विनोद बिंद और ललितेशपति के बीच कांटे का मुकाबला होने के आसार बन रहे हैं।
लालगंज सीट
श्रावस्ती
भाजपा और सपा में सीधी टक्कर है। भाजपा से राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधान सचिव रहे नृपेंद्र मिश्र के पुत्र एमएलसी साकेत मिश्र उम्मीदवार हैं। आइएनडीआइए में यह सीट सपा के हिस्से में है। 2019 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन से बसपा उम्मीदवार के तौर पर सांसद चुने गए रामशिरोमणि वर्मा सपा के टिकट से दूसरी बार मैदान में हैं। बसपा ने मुइनुद्दीन अहमद खान उर्फ हाजी दद्दन खान को उम्मीदवार बनाया है।
अंबेडकरनगर
सपा और भाजपा के बीच सीधी टक्कर के आसार दिख रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले बसपा छोड़कर आए सांसद रितेश पांडेय को भाजपा ने यहां प्रत्याशी बनाया है। वहीं आइएनडीआइए में सपा से लालजी वर्मा प्रत्याशी हैं। बसपा ने यहां पूर्व में घोषित प्रत्याशी मोहम्मद कलाम शाह को बदलकर उनके स्थान पर जलालपुर नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष कमर हयात को प्रत्याशी बनाया है। सपा और भाजपा प्रत्याशी पूर्व में बसपा में रह चुके हैं, ऐसे में दोनों प्रत्याशी की नजर बसपा के कैडर वोटों को खींचने पर है। वहीं बसपा प्रत्याशी का चुनाव प्रचार भी इस बार हल्का दिख रहा है, जिसे देख भाजपा और सपा में मुकाबला बताया जा रहा है।
आजमगढ़
भाजपा और सपा के लिए नाक की लड़ाई बन गई है। विस चुनाव जीतने के बाद अखिलेश यादव ने 2022 में यहां से इस्तीफा दे दिया था। उपचुनाव में भोजपुरी फिल्म स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ ने अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को हराकर सपा का गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर कमल खिलाया। भाजपा ने निरहुआ पर ही भरोसा जताया है तो धर्मेंद्र यादव के कंधे पर मुलायम और अखिलेश की विरासत को बचाए रखने की जिम्मेदारी है। भाजपा के लिए यह सीट कितनी महत्वपूर्ण है, इसका पता इससे चलता है कि पीएम नरेन्द्र मोदी और योगी आदित्यनाथ यहां जनसभाएं कर चुके हैं। बसपा ने यहां से मशहूद अहमद को उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है।
बस्ती
भाजपा ने हरीश द्विवेदी पर तीसरी बार दांव लगाया है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुत कम वोटों के अंतर से जीत दर्ज करने वाले हरीश की घेराबंदी के लिए गठबंधन ने यहां भी जातिगत कार्ड चला है। सपा ने इस चौधरी बहुल सीट पर बिरादरी के छत्रप कहे जाने वाले पूर्व मंत्री रामप्रसाद चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने नामांकन के अंतिम दिन लवकुश पटेल को प्रत्याशी बनाकर गठबंधन को सांसत में डाल दिया।
संतकबीरनगर
भाजपा ने दूसरी बार प्रवीण निषाद को प्रत्याशी बनाया है। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद पिछले चुनाव में मामूली वोटों के अंतर से विजयी हुए थे। सपा ने पूर्व राज्यमंत्री लक्ष्मी उर्फ पप्पू निषाद को प्रत्याशी बनाया है। मुस्लिम, यादव गठजोड़ के साथ निषाद वोटों में सेंधमारी के सहारे गठबंधन जीत के दावे कर रहा है। बसपा ने नदीम अशरफ को प्रत्याशी बना दलित और मुस्लिम वोटों के गठजोड़ से जीत सुनिश्चित करने का प्रयास किया है।
सुलतानपुर
भाजपा से पूर्व मंत्री व वर्तमान सांसद मेनका गांधी, सपा से पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद व बसपा से उदराज वर्मा मैदान में हैं। यहां त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं। भाजपा के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के लिए सपा-बसपा के बीच जोर आजमाइश हैं। मेनका गांधी सरकार की योजनाओं, अपने कार्यों, विकास, शांति एवं सुरक्षा और क्षेत्र में सक्रियता के दावे कर मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रही हैं। वहीं, रामभुआल निषाद बेरोजगारी, महंगाई और जिले में विकास ठहरा होने की बात कह वोटरों के बीच अपनी पैठ बना रहे। उदराज वर्मा स्थानीय बनाम बाहरी के मुद्दे को हवा दे रहे। उनका कहना है कि सिर्फ वही जिले के हैं, अन्य दो प्रमुख दलों के प्रत्याशी बाहरी हैं।
फूलपुर
भाजपा और सपा में कड़ी टक्कर है। भाजपा ने सांसद केसरी देवी पटेल का टिकट काटकर फूलपुर विधानसभा सीट से विधायक प्रवीण पटेल को मैदान में उतारा है। वह तीन बार इस सीट से विधायक रह चुके हैं। सपा प्रत्याशी अमरनाथ मौर्य हैं और वह बसपा से शहर पश्चिम विस क्षेत्र से विधायकी लड़ चुके हैं। बसपा से जगन्नाथ पाल मैदान में हैं। जातियों की भी तगड़ी गोलबंदी है। देखना यह है कि बाजी किसके हाथ लगती है।
मछलीशहर
हैट-ट्रिक बनाने के लिए भाजपा ने सांसद बीपी सरोज पर भरोसा जताया है। 2019 में बसपा के त्रिभुवन राम से वह मात्र 181 वोटों से जीते थे। सपा तीन बार के सांसद रहे तूफानी सरोज की 26 वर्षीय बेटी और सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रिया सरोज के भरोसे भाजपा का विजय रथ रोकने की कोशिश में है। बसपा के टिकट से पूर्व आइएएस अफसर कृपाशंकर सरोज चुनाव मैदान में हैं। यहां भी सपा व भाजपा के ही बीच कांटे के मुकाबले के आसार दिख रहे हैं।