एक ऐसा अफसर जिसके मन-मुताबिक काम ना हो तो मंत्री,प्रमुख सचिव,डीजी किसी को कहीं का नही छोड़ता
संजय पुरबिया
लखनऊ। होमगार्ड विभाग का एक ऐसा अफसर जिसके सिर ‘वर्दी का रंग’ इस कदर चढ़ा है कि वो अपनी मंशा पूरी करने के लिये कुछ भी कर गुजर जाता है। उसके बारे में विभागीय अफसर बताते हैं कि जब वो किसी को देख कर ‘मुस्करा’ दे या किसी की ‘प्रसंशा’ कर दे तो उस आदमी की ‘खैर’ नहीं…। इस अफसर की मानसिकता इतनी घटिया है कि जब तक इसके मन का काम होता रहेगा ‘बल्ले-बल्ले’… और जब विभागीय मंत्री,एसीएस या फिर डीजी इसके मन के मुताबिक काम करना बंद कर देंगे तो ये उनके खिलाफ विधायकों,सांसदों का फर्जी पैड बनाकर शिकायत करा देता है। पिछली सरकार में इस अफसर ने ‘उक्त पदों’ पर आसीन सभी के खिलाफ इस तरह का घटिया कृत्य कराकर उन्हें मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा। पैसे की हवस ने उस अफसर को इतना अंधा बना दिया है कि इसके लिये कुछ भी कर सकता है। तभी तो उस अफसर के पास उत्तर प्रदेश के महानगरों में करोड़ों के फ्लैट,आवास है। खैर, राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र ‘द संडे व्यूज़’ शीघ्र ही उस अफसर सहित उन्हें संरक्षण देने वालों का चेहरा बेनकाब करेगा। साहेबान, थोड़ा इंतजार कीजिये…तभी मजा आयेगा…।
जब वो किसी को देख कर ‘मुस्करा’ दे या किसी की ‘प्रसंशा’ कर दे तो उस आदमी की ‘खैर’ नहीं…। उसे वह अपने प्रपंचों से, शिकायती तत्वों से शिकायत करा कर घेरेगा…। उसका गला काटने का प्रयास करेगा…। यदि वह किसी पर अभद्र भाषा का प्रयोग करे या उस पर भयंकर गुस्सा हो जाये तो हो सकता है कि गंदी गाली खाकर वो अधिकारी या कर्मचारी बच जाये…। उसकी गंदी- गंदी गालियों से सब परेशान हैं। इतना ही नहीं,साहेब विधायकों, सांसदों का फ र्जी पैड बनाकर शिकायत करने में भी माहिर हैं। पहले भी एसोसिएशन के पैड पर और कई तरीके से डीजी, एडीजी, प्रमुख सचिव, पूर्व विभागीय मंत्री की शिकायत कर सभी का बंटाधार करा चुके हैं। आप दंग रह जायेंगे कि साहेब हिसाब चुकता करने के लिये गंदी- गंदी, अश्लील, खुली शिकायतें करने में तो किसी को भी मात दे सकते हैं। विभाग का कोई भी छोटा-बड़ा अधिकारी मसलन कमांडेंट, मंडल, डीजी, प्रमुख सचिव, मंत्रीजी जब उसके मन का नहीं करते हैं तो साहेब अश्लील शिकायतें ठोक देते हैं और शाकाल की तरह खुश होते है। बताया जाता है कि विभाग में उसी मानसिकता के दो-तीन कमांडेंट ही उसके साथी हैं, अन्य सभी उसकी फि तरत से परिचित हैं, उससे दूरी बनाकर चलते हैं। करोड़ों की संपत्ति बटोरने वाले ऐसे दागी अधिकारी की जमीनें, फ्लैट, दुकानों की लंबी फेहरिस्त है,जिसका खुलासा सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र ‘द संडे व्यूज़’ ही करेगा।