जाको राखे ‘अनिल कुमार’, मार सके न कोई…

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जाको राखे अनिल कुमार, मार सके न कोई… बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होय।

 

संजय पुरबिया

लखनऊ। जी हां, वैसे तो ये कहावत सांई, खुदा या भगवान के लिये कही गयी है मगर आप तो जानते ही हैं कि इस देश मे ‘खुदा‘ अगर कोई होता है तो वो है ‘आईएस’…। होमगार्ड विभाग के अपर मुख्य सचिव अनिल कुमार ‘भ्रष्टाचारियों‘, ‘अय्याशीकरने वाले अधिकारियों के लिये ‘खुदा’, ‘रहनुमा‘ हैं। यही वजह है कि इस विभाग में भ्रष्टाचार ,अय्याशी के आकंठ में डूबे अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी। मुख्यालय से पत्रावली तेज रफ्तार में चलती तो है मगर शासन में बैठे खुदा समझने वाले अपर प्रमुख सचिव अनिल कुमार के कक्ष तक पहुंच कर गुमनामी के अंधेरों में खो जाती है। इसीलिये होमगार्ड विभाग में अधिकारियों ने ‘खूब भ्रष्टाचार’ और महिलाओं को ‘जमकर शोषण’ भी किया। इन्हें मालूम है कि उनके खिलाफ कार्रवाई करने की जुर्रत कोई नहीं कर सकता क्योंकि उन पर विभागीय ‘ईश्वर’,’खुदा’ का वरदहस्त है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूरे देश में होमगार्ड विभाग के छवि को धूमिल करने वाले कमांडेंट मनीष दूबे और एसडीएम ज्योति मौर्या प्रकरण में डीजी बी.के.मौर्या ने विभागीय जांच सहित मनीष दूबे के निलंबन के लिये पत्रावली भेजा। उसे एसीएस ने दबा दिया। 20 दिन पूर्व होमगार्ड मंत्री ने डीजी के आदेश पर कमांडेंट मनीष दूबे के सस्पेंशन का आदेश जारी कर दिया है,जिस पर अनिल कुमार ने कोई कार्रवाई नहीं की। अधिकारियों की मानें तो एसीएस अनिल कुमार को मंत्री की संस्तुति मिलने के बाद 10 मिनट में आर्डर टाईप हो जाना चाहिये था मगर…। सवाल है कि जिसके खिलाफ विभाग के मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने आज से 20 दिन पहले निलंबन की संस्तुति कर दी हो आखिर अभी तक इन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की ?

आइये अब सीधे मुद्दे की बात करते हैं। एसडीएम ज्योति मौर्या,आलोक मौर्या और कमांडेंट मनीष दूबे प्रकरण इतना हाईलाइट हुआ था जिसमे गांव – गांव में दबी जुबान से बेवफ़ा पत्नियों को लोग ज्योति मौर्या बोल रहे थे…। उस मामले में विभागीय मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने निलंबन की संस्तुति कर दी मगर विभाग के अपर मुख्य सचिव अनिल कुमार ने मानों ठान रखा हो कि मंऋी जी के इस आदेश को तो नहीं मानूंगा…। जिस मामले में सीनियर आईपीएस डीजी बी.के. मौर्य ने द संडे व्यूज़ को बयान दिया था कि अमरोहा कमांडेंट मनीष दूबे का निलंबन शासन भेज दिया गया है। उस मामले को गंभीरता से लेते हुये मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने डीजी की रिपोर्ट पर कमांडेंट मनीष दूबे के सस्पेंशन का आदेश जारी कर दिया। मगर दंभी सचिव अनिल कुमार ने पत्रावली ही दबा दी।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 10 मिनट में आर्डर टाइप होना चाहिये था मगर 20 दिन से चुपचाप मामला दबा कर अनिल जी बैठ गये हैं। विभाग का मुखिया मंत्री ही होता है और यदि मंत्री ने निर्णय ले लिया तो सचिव को उसे हर कीमत पर मानना ही होता है। मंत्री के लिये सचिव का दर्जा एक बड़े बाबू से ज्यादा नही होता। यहां अनिल कुमार खुद को खुदा समझ रहे हैं। अब देखना है कि होमगार्ड विभाग में मंत्री धर्मवीर प्रजापति और डीजी बिजय कुमार की चलती है या खुद को खुदा समझने वाले अपर प्रमुख सचिव अनिल कुमार की…। हम तो यही कहेंगे… जाको राखे अनिल कुमार, बचा सके न कोय…।

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