आज इस मुहूर्त में घर लाएं बप्पा की प्रतिमा, जानें गणपति स्थापना की संपूर्ण विधि

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लखनऊ। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन सुख-समृद्धि के देवता भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था। इसी उपलक्ष्य में हर साल गणेश उत्सव मनाया जाता है। यह पर्व पूरे दस दिनों तक चलता है। गणेश उत्सव का यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तिथि के दिन तक चलता है। 10 दिन तक चलने वाला यह उत्सव बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दौरान घरों और बड़े-बड़े पूजा पंडालों में भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। इस दिन शुभ मुहूर्त में ही बप्पा का स्वागत किया जाता है। ऐसे में यदि आप भी अपने घर में गणपति स्थापित करने जा रहे हैं शुभ मुहूर्त जरूर देख लें। चलिए जानते हैं गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि…

गणेश चतुर्थी तिथि 2023

इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 9 मिनट पर हो रही है। इसका समापन 19 सितंबर 2023 को दोपहर 3 बजकर 13 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाई जाएगी। इसी दिन से 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत भी होगी।

गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त

गणेश प्रतिमा की स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को सुबह 11 बजकर 7 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक है। ऐसे में इस शुभ मुहूर्त में आप अपने घर पर गणपति बप्पा का स्वागत कर सकते हैं।

गणेश स्थापना विधि

  • इस दिन गणपति की स्थापना करने से पहले स्नान करने के बाद साफ वस्त्र पहनें।
  • इसके बाद अपने माथे पर तिलक लगाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख कर आसन पर बैठ जाएं।
  • ध्यान रहे आसन कटा-फटा नहीं होना चाहिए।
  • इसके बाद गणेश जी की प्रतिमा को किसी लकड़ी के पटरे या गेहूं, मूंग, ज्वार के ऊपर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।
  • गणपति की प्रतिमा के दाएं-बाएं रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक स्वरूप एक-एक सुपारी रखें।
  • गणेश चतुर्थी पूजा विधि
    • गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर सबसे पहले अपने घर के उत्तर भाग, पूर्व भाग, अथवा पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा रखें।
    • फिर पूजन सामग्री लेकर शुद्ध आसन पर बैठें।
    • सर्वप्रथम गणेश जी को चौकी पर विराजमान करें और नवग्रह, षोडश मातृका आदि बनाएं।
    • चौकी के पूर्व भाग में कलश रखें और दक्षिण पूर्व में दीया जलाएं।
    • अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः कहते हुए भगवान गणेश को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें तथा माथे पर तिलक लगाएं।
    • हाथ में गंध अक्षत और पुष्प लें और दिए गए मंत्र को पढ़कर गणेश जी का ध्यान करें।
    • इसी मंत्र से उन्हें आवाहन और आसन भी प्रदान करें।
    • पूजा के आरंभ से लेकर अंत तक अपने जिह्वा पर हमेशा ॐ श्रीगणेशाय नमः। ॐ गं गणपतये नमः। मंत्र का जाप अनवरत करते रहें।
    • आसन के बाद गणेश जी को स्नान कराएं। पंचामृत हो तो और भी अच्छा रहेगा और नहीं हो तो शुद्ध जल से स्नान कराएं।
    • उसके बाद वस्त्र, जनेऊ, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि जो भी संभव यथाशक्ति उपलब्ध हो उसे चढ़ाएं।
    • आखिर में गणेश जी की आरती करें और मनोकामना पूर्ति के लिए आशीर्वाद मांगे।

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