संजय पुरबिया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में जब-जब ‘नई सरकार‘ बनती है या ‘मंत्रिमंडल विस्तार’ होता है,उस दौरान पार्टी के ही कुछ लोग अपनों का हित साधने के लिये ऐसा ‘षडय़ंत्र’ रचते हैं जिससे सामने वाले की छवि धूमिल हो जाये। उन्हें इससे कोई वास्ता नहीं कि वे जो कर रहे हैं,उससे सामने वाले व्यक्ति के परिवार, सामाजिक दायरे में रहने वालों पर इसका बुरा असर पड़ेगा। कई बार लोग इस तरह के घटिया कुचक्र को रचने में कामयाब हो जाते हैं लेकिन जो योगी राज में ‘कर्मयोगी’,’संत’ के रुप में जाना जाता हो…। जिसने अपने ‘काम‘ करने के ‘अलग अंदाज’ से देश ही नहीं विदेशों में भी योगी सरकार की साख को बढ़ाने का काम किया हो…। जो ‘कर्मयोगी‘ होने के साथ-साथ ‘धार्मिक आस्था‘ रखने वाला हो,ऐसे इंसान पर ‘मनगढ़त’ तरीके से किसी महिला से शोषण का आरोप लगाया गया। ये उस शख्सियत का व्यक्तित्व ही है कि उनका नाम आते ही हर कोई ‘हतप्रभ‘ हो गया,क्योंकि ना तो किसी को यकीन था और ना ही होगा...। उस शख्सियत का नाम जेल,होमगार्ड राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मवीर प्रजापति है। सरकार भी ‘मौन’ है क्योंकि सभी को मालूम है कि धर्मवीर प्रजापति पर लगाये गये आरोप भाजपा के ही किसी छुटभैय्ये का काम होगा और जिसने भी ये कृत्य किया है,उसका सच सामने आ जायेगा और ऐसा ही हुआ…। भाजपा की जिस महिला नेत्री के ‘लेटर पैड’ का गलत तरीके से दुरुपयोग किया गया था,उसने फेसबुक से लेकर व्हाटसअप पर अपना बयान दे दिया कि ये किसी असामाजिक तत्वों की करतूत है। कहा कि पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में उसके नाम को लेकर उसकी पहचान और आवाज में कुछ लोगों द्वारा कूटरचित तरीके से एक ऑडियो और उसी से संबंधित उसके नाम की चिट्ठी वायरल किया जा रहा है। मैं ऐसे वायरल ऑडियो व पत्र का पूरी तरह से खंडन करती हूं…। महिला द्वारा लगाये गये गंभीर आरोप पर मंत्री धर्मवीर प्रजापति से बात की गयी तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। सिर्फ इतना कहा कि मुझे भोलेनाथ पर पूरा भरोसा है…।’
बात जो भी हो,लेकिन ये भी सच है कि राजनीति में ‘सत्ता की भूख‘ और ‘कुर्सी की ललक’ में तथाकथित लोग इस कदर अंधे हो जाते हैं कि वे किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं। ये पहला मामला नहीं हैै इससे पहले भी अन्य सरकारों में अपने काम के दम पर दमदार तरीके से सरकार की छवि को आमजन तक पहुंचाने वाले जमीनी माननीयों के साथ भी ऐसा खेल खेला जा चुका है। हकीकत में तथाकथित लोग किसी ना किसी को ‘मोहरा’ बनाकर इस्तेमाल करते हैं और कामयाब हो गये तो उसकी सेवा-सत्कार कर दी गयी नहीं तो दूध से मक्खी की तरह निकाल फेंक दिये गये। बता दें कि जेल,होमगार्ड राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मवीर प्रजापति की पहचान ‘जमीनी नेता’ के रुप में होती रही है। ‘धार्मिक प्रवृत्ति’ के ईश्वर के प्रति आस्थावान श्री प्रजापति अपने समाज के पहले मंत्री बनें और कुर्सी संभालते ही इन्होंने अपनी सोच व विचार विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों तक ये कहकर पहुंचाया कि ‘मैं मंत्री नहीं आपलोगों का अभिभावक हूं’…।
‘द संडे व्यूज़ ने मंत्री के संदेश को प्रमुखता के साथ लिखा और असर यह दिखा कि होमगार्ड,कारागार विभाग के निचते स्तर के कर्मचारी इतने खुश हो गये मानों उनका ‘सीना छत्तीस इंच’ का हो गया हो। कर्मचारियों ने अपने बेहतर काम से मंत्री का दिल जीता और इन्होंने भी हर सुख-दुख: में सभी का साथ दिया। मंत्री की ही देन है कि कारागार विभाग में किये गये सुधार के कार्यों को दूसरे राज्यों की जेलों में नकल की जा रही है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि जब इस प्रकरण में मंत्री धर्मवीर प्रजापति से बात की गयी तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। बस इतना कहा कि ‘मुझे भोलेनाथ पर पूरा भरोसा है’…।