खबर का असर: डीजी बी.के.मौर्या ने प्रधानमंत्री के खिलाफ विवादित बयान देने वाले अंजन भगत का तबादला किया निरस्त, भेजा चंदौली

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 लखनऊ। विधान सभा चुनाव के दौरान वाराणसी के रामनगर में तैनात हवलदार प्रशिक्षक अंजन भगत ने फेसबुक पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मेादी के खिलाफ विवादित बयान दिया था‘द संडे व्यूज़’ के खुलासा के बाद वहां तैनात मंडलीय कमांडेंट जी.सी.कटियार ने उसे कठोर चेतावनी देकर मामले को रफा-दफा कर दिया। इस गंभीर प्रकरण में मुख्यालय पर तैनात तथाकथित अधिकारी भी शामिल थे। इस बीच हवलदार प्रशिक्षक प्रमोशन पाकर ब्लॉक आर्गनाइजर बन गये और उनका ट्रांसफर गाजीपुर कर दिया गया। तबादला नीति आने पर अधिकारियों ने अंजन भगत का तबादला लखनऊ करा दिया। द संडे व्यूज़ ने डीजी बी के मौर्या को अवगत कराया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ विवादित बयान देने वाले को सजा मिल रही है इनाम? इस पर डीजी ने तत्काल अंजन भगत का तबादना रद्द कर चंदौली भेज दिया। हकीकत यह है कि मुख्यालय पर तैनात डीआईजी ने कर्ई बातों से डीजी को गुमराह करने का काम किया। शायद वे ये भूल गये कि सबसे पहले हमारे लिये देश के प्रधानमंत्री का सम्मान करना है…।

 

बता दें किहोमगार्ड विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति और डीजी बी.के.मौर्या की सोच है कि इस विभाग में भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होइसी कड़ी में इस बार तबादला नीति में फूंक-फूंक कर काम कर रहे हैं क्योंकि पिछले कुछ दिनों से बीओ सुरेश सिंह द्वारा फर्जी मस्टर रोल बनाकर लाखों रुपये की चपत लगाने से विभाग शर्मशार हो चुका है। सुरेश सिंह वही ब्लॉक आर्गनाइजर है जिसने चीफ सेक्रे्रटरी के आवास पर फर्जी होमगार्डों की तैनाती दिखाकर तीन साल से लाखों रुपये का फर्जी मस्टर रोल बनाता रहा। यही वजह है कि डी.जी. पूरी तरह से चौकन्न होकर ट्रांसफर लिस्ट बना रहे हैं लेकिन मुख्यालय पर तैनात तथाकथित अधिकारी उन्हें गुमराह कर ब्लॉक आर्गनाइजर अंजन भगत का ट्रांसफर गाजीपुर से लखनऊ कराने में कामयाब हो गये । ये वही अंजन भगत है जिसने विधान सभा चुनाव के समय फेसबुक पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिये अपशब्दों का इस्तेमाल किया था। जब चुनाव आयोग ने मामले को गंभीरता से लिया तो रामनगर ट्रेनिंग सेंटर के मंडलीय कमांडेंट जी.सी.कटियार ने उसके खिलाफ सिर्फ कठोर चेतावनी देकर बचा लिया। नियमत: चुनाव आयोग का उल्लंघन करने वाले सरकारी कर्मचारी को छह माह की सजा और दो हजार रुपये का आर्थिक दण्ड देने का प्राविधान है। बहरहाल,इस बात की जानकारी जब डीजी बी.के.मौर्या को हुयी तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से उसका ट्रांसफर रोक दिया है।


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