कई हजार करोड़ का है घोटाला
ब्यूरो
लखनऊ। सीबीआइ ने नवंबर, 2020 में रूप सिंह यादव व तत्कालीन वरिष्ठ सहायक राजकुमार को लखनऊ से गिरफ्तार किया था। सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ ने ठेकों के आवंटन में धांधली को लेकर रूप सिंह यादव के विरुद्ध एक अन्य केस भी दर्ज किया था। इस केस केस के आधार पर रूप सिंह के करीबी ठेकेदारों की भूमिका अब ईडी जांच के दायरे में है।
सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने नवंबर, 2017 में गोमती रिवरफ्रंट घोटाले की एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू की थी। इसके उपरांत ईडी ने मार्च, 2018 में केस दर्ज कर इस घोटाले की जांच शुरू की थी। जांच में सामने आया था कि रिवरफ्रंट निर्माण के दौरान सिंचाई विभाग ने 1031 करोड़ रुपये के निर्माण कार्याें से जुड़ी 12 निविदाएं जारी की थीं।
इसके अलावा 407 करोड़ रुपये के 661 निर्माण कार्य अलग-अलग ठेकेदारों को आवंटित किए गए थे। इन ठेकों के आवंटन में आर्थिक अनियमितता व नियमों की अनदेखी सामने आने पर सीबीआई ने जुलाई, 2021 में एक और केस दर्ज किया था। ठेकेदारों ने मनमाने दामों पर सामान की आपूर्ति व निर्माण कार्य कराये थे। कुछ निर्माण कार्यों में तो दस गुणा तक ओवररेटिंग किए जाने की बात सामने आई है। ठेकेदारों ने मुनाफे का बड़ा हिस्सा अभियंताओं को दिया था। ठेकेदारों को उनके द्वारा कराए गए कार्याें से जुड़ी बैलेंस शीट, बैंक खातों का विवरण व अन्य दस्तावेजों के साथ पूछताछ के लिए बुलाया गया है। सपा शासनकाल में हुए बहुचर्चित गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में जल्द कई ठेकेदारों की भी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी जांच तेज की है। ईडी ने घोटाले के आरोपित सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव के कई करीबी ठेकेदारों को नोटिस देकर पूछताछ के लिए तलब किया है।