छद्मभेषधारी पत्रकारों से ‘मुख्यमंत्री’ और ‘नौकरशाहों’ की जान को हो सकता है खतरा !

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छद्मभेषधारी पत्रकारों से ‘मुख्यमंत्री’ और ‘नौकरशाहों’ की जान को हो सकता है खतरा !

 मोहम्मद कामरान ‘पत्रकार’ नहीं ‘ब्लैमेलर’ है : संासद बृजभूषण शरण सिंह

 संजय पुरबिया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार को अब ‘छद्मभेषधारी’ पत्रकारों से खतरा हो सकता है! छद्मभेष में मुख्यमंत्री आवास, लोकभवन,सचिवालय या फिर एनेक्सी कहीं भी ऐसे लोग बिना रोक-टोक अंदर आ-जा सकते हैं और अपने मंसूबे में कामयाब हो सकते हैं। कोई नहीं समझ सकता कि माननीयों एवं नौकरशाहों से मिलने वाला व्यक्ति सही मायने में पत्रकार’ है या फिर छद्मवेश में अपराधी ! वैसे भी मुख्यमंत्री आवास या उनके प्रेसवार्ता में ‘राज्य मुख्यालय’ मान्यता प्राप्त या ‘स्वतंत्र पत्रकारों’ को ही प्रवेश मिलता है। लेकिन क्या पूरी जिंदगी ‘ईमानदारी’ से ‘बेदाग’ रहते हुये पत्रकारिता करने वालों को ‘राज्य मुख्यालय’ मान्यता या ‘स्वतंत्र पत्रकार’ का मान्यता मिल रहा है ? बड़ा सवाल है,क्योंकि पिछली सरकारों में रेवड़ी की तरह ऐसे लोगों को ‘राज्य मुख्यालय’ या ‘स्वतंत्र पत्रकार’ बनाया गया है जो व्यापारी हैं,स्टैण्ड चलाते हैं या फिर दर्जनों अपराध कर चुके हैं…। जी हां, यही सत्य है…। ऐसे ही एक ‘छद्मभेषधारी’ स्वतंत्र पत्रकार का नाम है ‘मोहम्मद कामरान‘…। मो. कामरान पर लखनऊ के हजरतगंज, वजीरगंज थाने सहित कानपुर के बिठुर में कई मुकदमे दर्ज हैं। इसका खुलासा सांसद लोकसभा बृजभूषण शरण सिंह ने किया है।

 

बृजभूषण शरण सिंह ने मुख्य सचिव को लिखे ‘गोपनीय पत्र’ में इसका खुलासा किया है। मांग की है ‘मो. कामरान पर छिनैती,अधिकारियों को ब्लैकमेल करने,रंगदारी वसूलने,जान से मार देने की धमकी देने,डराने-धमकाने,प्रताडि़त करने,षडय़ंत्र रचने,चोरी करने सहित छेडख़ानी करने जैसे गंभीर आरोप कई थानों में दर्ज है,फिर यूपी सरकार ने उसे ‘स्वतंत्र पत्रकार’ का मान्यता कैसे दे दिया? फर्जी सूचनाओं एवं शपथ पत्र लगाकर मो. कामरान वर्ष 2012 में ‘राज्य मुख्यालय का मान्यता प्राप्त’ पत्रकार बना,उसके बाद 2019 में ‘स्वतंत्र पत्रकार’ बन गया। मो. कामरान ‘ब्लैकमेलर’ है। ये अधिकारियों एवं कर्मचारियों को ब्लैकमेल कर धन उगाही करता हैÓ। फिलहाल, मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार,प्रमुख सचिव सूचना संजय प्रसाद ने इसकी जांच सूचना निदेशक शिशिर सिंह को सौंप दी है।

द संडे व्यूज़ का सवाल है कि आखिर पिछली सरकारों में सूचना विभाग में बैठे अधिकारी किस नियमावली के तहत दर्जनों आपराधिक मुकदमा दर्ज होने बाद भी मोहम्मद कामरान को ‘स्वतंत्र पत्रकार’ बना दिया? सवाल यह भी है कि किस आधार पर ‘एलआईयू’ जांच और पुलिसिया जांच में मो.कामरान को ‘बेदाग’ दिखाया गया ? जांच होनी चाहिये और फर्जी पत्रकार मो.कामरान के साथ-साथ सूचना विभाग और एलआईयू के अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिये। खैर, बात जो भी हो,जनाबे आली,स्वतंत्र पत्रकार बनने के बाद बेखौफ होकर मुख्यमंत्री आवास से लेकर लोकभवन,विधान सभा की परिक्रमा लगा रहे हैं।

सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने 25 सितंबर 2022 को मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। पत्र में खुले शब्दों में उन्होंने लिखा है कि राजधानी स्थित इंदिरानगर 18-495 में रहने वाले मोहम्मद कामरान पुत्र मो.उस्मान एक पेशेवर ब्लैकमेलर है,जिसका मुख्य काम अधिकारियों,कर्मचारियों को ब्लैकमेल कर धन उगाही करना है। सूचना विभाग उ. प्र. द्वारा मो. कामरान को पूर्व में 7 अगस्त 2012 को राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार के रुप में मान्यता प्रदान की गयी। उसके बाद 28 फरवरी 2019 को स्वतंत्र पत्रकार के रुप में मान्यता प्रदान की गयी। मो.कामरान ने उपरोक्त दोनों मान्यता पाने के लिये फर्जी दस्तावेज एवं शपथ पत्र लगाया है,जो नियम विरुद्ध है। पत्र में सांसद ने लिखा है कि मो. कामरान के खिलाफ रंगदारी वसूलने,ब्लैकमेल करने,छेडख़ानी, जान-माल का खतरा,डराने-धमकाने,प्रताडि़त करने,छिनैती, एवं चोरी करने आदि से संबंधित मुकदमा कई थानों में दर्ज है।

सांसद श्री सिंह ने पत्र में मो.कामरान द्वारा किये गये फर्जीवाड़े का पूरा खुलासा करते हुये लिखा है कि इसने 14 से अधिक अखबार अपने एक आवास तथा विभिन्न स्थानों का पता देकर आरएनआई भारत सरकार से पंजीकृत करा रखा हैजिसकी कुछ प्रतियां वह कभी-कभी दलाली व ब्लैकमेल करने के लिये छपवाता है। जन सूचना अधिकार अधिनियम-2005 से प्राप्त सूचना के अनुसार सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उ.प्र. द्वारा सबसे पहले मो.कामरान को सात अगस्त 2012 को उर्दू कौमी एलान समाचार पत्र से राज्य मुख्यालय की प्रेस मान्यता प्राप्त की गयी थी। कामरान द्वारा 20 दिसंबर 2010 के माध्यम से नियुक्ति प्रमाण

पत्र में रुपये 9000 प्रतिमाह वेतन के अभिलेख दिखाये गये हैं,जबकि कामरान कौमी ऐलान का प्रकाशक और मालिक स्वयं ही है। इतना ही नहीं,संस्था अनंत सामाजिक एवं सांस्कृतिक वेलफेयर सोसायटी का अध्यक्ष भी है। कोई भी प्रकाशक और मालिक अपने अखबार में नौकरी नहीं कर सकता। उसने मान्यता के लिये उर्दू दैनिक कौमी ऐलान का सर्कूलेशन 57025 दिखाया है। मो. कामरान द्वारा फर्जी सूचनाओं के आधार पर भारत सरकार के डीएबीपी से विज्ञापन के लिये मान्यता प्राप्त करली थी। इसके फर्जीवाड़े की शिकायत होने पर डीएबीपी द्वारा वर्ष 2012 में एक समिति गठित कर जांच करायी गयी। जांच आख्या के अवलोकन के बाद इनके अखबार इनफायानाइट न्यूजवेव,अवध क्लासीफाइड,ऐलान-ए-अवध,कौमी ऐलान,लखनऊ दर्शन,उ.प्र. एक्सपे्रस की जांच में पाया गया कि उक्त अखबार की प्रतियां छपती ही नहीं है। जांच के आधार पर इनफायानाइट न्यूज़ तथा कौमी ऐलान की डी.ए.वी.पी. निरस्त कर दी गयी थी। इस प्रकार सूचना विभाग उ.प्र. द्वारा 7 अगस्त 2012 को मो.कामरान को राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार की मान्यता दैनिक कौमी ऐलान,लखनऊ से जारी करना पूरी तरह से नियम विरूद्ध व अवैध था।

पुन: सूचना विभाग उ.प्र. द्वारा 28 फरवरी 2019 को मो. कामरान को मुख्यालय की स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता प्रदान कर दी गयी,जिसमें सूचना विभाग द्वारा सूचना के अधिकार नियम 2005 के तहत बताया गया है कि मो. कामरान स्वतंत्र पत्रकारा द्वारा उपलब्ध कराये गये शपथ पत्र में उर्दू दैनिक कौमी ऐलान लखनऊ ,दिल्ली,रायबरेली एवं उर्दू दैनिक ऐलान-ए-अवध लखनऊ में लेख नियमित रुप से लिखता है। मो. कामरान के उपरोक्त समाचार पत्र छपते ही नहीं हैं तो लेख छपवाने की बात भी फर्जी है।

उ. प्र. सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा मान्यता देने के संबंध में शासनादेश संख्या 1083-उन्नीस-1-2008-205-2002 चार जुलाई 2008 के अनुसार स्वतंत्र पत्रकार के लिये पूर्णकालिक श्रमजीवी पत्रकार के रुप में कम से कम 15 वर्ष का अनुभव,जिसमें कम से कम 5 वर्ष रहे हों। उसके लेख कम से कम दो प्रतिष्ठिïत पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रुप से प्रकाशित होते रहे हों तथा शपथ पत्र देना होगा कि कहीं दूसरी जगह कार्यरत नहीं है। शासनादेश संख्या 1229-उन्नीस-1-2009 27 अगस्त 2009 में स्पष्टï किया गया है कि स्वतंत्र पत्रकार के रुप में राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्रदान करने के मामलों में उन दैनिक समाचार पत्रों को प्रतिष्ठिïत माना जायेगा,जो बहुसंस्करणीय हों तथा जिनकी प्रमाणित प्रसार संख्या एक लाख या उससे अधिक हो और प्रतिमाह कम से कम 3 आलेख,समाचार,फीचर आदि प्रकाशित कराने से नियमित माना जायेगा।

मो. कामरान का राज्य मुख्यालय का मान्यता प्राप्त का कार्ड संख्या 746 था। स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता मिलने पर कार्ड संख्या 1179 था जो वर्ष 2022-23 में नवीनीकरण के बाद कार्ड संख्या 746 हो गया है,जो 31 दिसंबर 2023 तक मान्य है। यह नवीनीकरण जनवरी 2022 में किया गया है। नवीनीकरण में जिन समाचार पत्रों में मो.कामरान के लेख छपने का उल्लेख किया गया है,विवरण यथा कौमी मंजिल उर्दू डेली,कौमी मुकाम उर्दू डेली,कौमी तंजीम उर्दू डेली,अमृत विचार हिन्दी दैनिक,सलार-ऐ- हिन्द उर्दू डेली,ख्वाजा एक्सप्रेस उर्दू डेली…। इनमें से कोई भी समाचार पत्र मान्यता हेतु निर्गत मार्गदर्शक सिद्धांत,शासनादेश की पूर्ति नहीं करते हैं।

इस प्रकार सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उ.प्र. द्वारा मो.कामरान को 7 अगस्त 2012 को दी गयी राज्य मुख्यालय पत्रकार की मान्यता एवं 28 फरवरी 2019 को दी गयी स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता एवं जनवरी 2022 में स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता का नवीनीकरण पूरी तरह अवैध एवं शासनादेश के विपरित तथा फर्जी है। मो. कामरान उपरोक्त मान्यता का उपयोग सिर्फ ब्लैकमेल करने के उददेश्य व निज स्वार्थ सिद्ध के लिये करता है।

इसी तरह सांसद बृजभूषण सिंह ने पत्र में मो.कामरान के आपराधिक कृत्य के बारे में लिखा है कि ये आपराधिक प्रवृत्ति का इंसान है,जिसके खिलाफ निम्र मुकदमें दर्ज है…। राजधानी के हजरतगंज थाने में 8 फरवरी 2012 को मु.अ.सं. 48-2012 अंतर्गत धारा 420,467,468,471, 120 बी,504,506507 आईपीसी की धारा दर्ज है। इसी तरह,वजीरगंज,लखनऊ थाने में 3 अप्रैल 2021 को रंगदारी वसूलने,ब्लैकमेल करने,षडय़ंत्र रचने की धारा मु.अ.सं. 138- 2021 अंतर्गत धारा 419,420,384, 506 दर्ज है,जनपद कानपुर के बिठुर थाने में 25 जुलाई 2011 को 406,506,509 छिनैती,छेडख़ानी,जान से मारने की धमकी संबंधित मामला दर्ज है। इसी तरह,मो. कामरान ने ब्लैकमेलिंग के लिये भंडारागार निगम में नियुक्तियों से संबंधित याचिका संख्या 1303-2014 उच्च न्यायालय,लखनऊ में दायर की थी। न्यायालय ने 18 फरवरी 2014 को उक्त याचिका खारिज करते हुये मो. कामरान पर एक लाख रुपये का जुर्माना,अर्थदण्ड लगाया था।

सांसद ने यह भी लिखा है कि मो.कामरान ने फर्जी पूर्णकालीक श्रमजीवी का काम करते हुये एलएलबी का तीन वर्षीय पूर्णकालीक पाठयक्रम भी किया है,जिसके क्रम में 14 जुलाई 2019 को बार काउंसिल में पंजीकरण कराकर वकालत भी कर रहा है ताकि खुद ही याचिकायोजित कर अधिकारियों व कर्मचारियों को ब्लैकमेल कर रंगदारी वसूलने का काम किया जाये। यह भी लिखा है कि कामरान ने यूपी इलेक्ट्रानिक कारपोरेशन,लखनऊ में फर्जी तरीके से काम करके वहां का कर्मचारी दिखाते हुये विभिन्न विभागों को पत्र लिखा और अपने ही हस्ताक्षर से प्रेषित किये,जो कि अनैतिक कार्य था। जिससे यूपी इलेक्ट्रानिक कारपोरेशन ने मो. कामरान की कंपनी इनोटेक को18 फरवरी 2010 को ब्लैकलिस्टेड कर काली सूची में डाल दिया है।

इतना ही नहीं,मो.कामरान वायस ऑफ मुस्लिम,आयना तथा अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से न्यायालय,केन्द्र सरकार,राज्य सरकार द्वारा लिये गये फैसलों पर आपत्तिजनक टिप्पणी कराते रहते हैं। मुस्लिमों के पक्ष में धार्मिक उन्माद फैलाने के आशय से पोस्ट,लेख भी लिखे जाते हैं। ज्ञापवापी,वाराणसी में धार्मिक मामले में शिवलिंग को फव्वारा बताते हुये फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट डाली गयी। मो. कामरान ने फर्जी प्रपत्रों के आधार पर पत्रकार की मान्यता एवं स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता प्राप्त की, अनैतिक विज्ञापन प्राप्त कर अकूल संपत्ति अर्जित कर ली। लखनऊ में पांच आलीशान मकान बनाया है,चार लग्जरी गाडिय़ों का मालिक बन गया है। सोचने वाली बात तो यह है कि मो.कामरान ने वकालत, व्यवसाय, एलएलबी, पीएचडी, सभी की डिग्री एक साथ कैसे ले ली ?आखिर में सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने लिखा है कि मो.कामरान के अनैतिक कृत्यों की स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराकर उसका राज्य मुख्यालय की मान्यता,स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता को समाप्त करने के साथ-साथ सरकारी विज्ञापनों से प्राप्त धनराशि की वसूली की जाये। साथ ही समाज में नफरत फैलाने एवं अनैतिक कार्य करने के संबंध में कठोर विधिक कार्यवाही की जाये।

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