आखिर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के आदेश का मजाक बनाने वाले सुशांत गोल्फ सिटी अंसल एपीआई पर कब होगी कार्रवाई?
आवंटियों से पार्क का लिया पांच प्रतिशत रकम,बेच डाली करोड़ों मे पार्क की जमीन…
संजय पुरबिया
लखनऊ। सुशांत गोल्फ सिटी (अंसल एपीआई) के अधिकारियों ने मानों ठान लिया है कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को ध्वस्त करते रहेंगे। यूपी में मुख्यमंत्री का बुल्डोजर चले या उन्हें जेल की सलाखों में भेज दे लेकिन वे आवंटियों को छलने का काम करते रहेंगे। प्रधानमंत्री का जहां सपना है कि तालाबों का सौन्दर्यीकरण हो, वहीं मुख्यमंत्री का संकल्प है कि यूपी भ्रष्टाचार मुक्त हो…। लेकिन क्या ऐसा हो रहा है ? शायद आपका जवाब भी ना होगा, क्योंकि नामी-गिरामी बिल्डर सुशांत गोल्फ सिटी(अंसल एपीआई) के मालिकान अभी भी आवंटियों के साथ-साथ सरकार के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं,क्योंकि उन्हें मालूम है कि एलडीए और रेरा के कुछ बड़े अधिकारी उनकी जेब में हैं। तभी तो, पैसा फेंक कर ये लोग आवंटियों से किये वायदे को दरकिनार कर पार्क की जमीन को करोड़ों में बेच रहे हैं और तालाब सौन्दर्यीकरण के नाम पर खुदाई कर उसे जानवरों का चारागाह बनाकर छोड़ रहे हैं। वाकई, अंसल के मनबढ़ अधिकारियों के हौसले की दाद देनी पड़ेगी कि उनके अंदर ना तो प्रधानमंत्री का खौफ है और ना ही बुलडोजर बाबा यानि मुख्यमंत्री का…। तभी तो अंसल के अधिकारियों ने सुशांत गोल्फ सिटी अंसल (एपीआई) में सेक्टर ए-1 पॉकेट में बने लगभग 18000 स्क्वायर फीट पार्क के कार्नर में प्लॉट नंबर ए -1 250 बनाकर लगभग 2900 स्क्वायर फीट जमीन डेढ़ करोड़ में बेच डाला। यहां रहने वाले आवंटियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। जब पार्क की उक्त जमीन पर निर्माण कराने के लिये आवंटी पहुंचा, तब सभी को मालूम चला कि अंसल ने पार्क में कार्नर की जमीन किसी को बेच दिया है। फिर क्या था,वहां रहने वाले आवंटियों ने जमकर विरोध किया और स्थिति इतनी भयावह हो गयी कि वहां पर गुण्डे-मवाली आकर हवा में कट्टा लहराने लगे। आवंटियों की एकजुटता की वजह से पार्क की जमीन को अवैध तरीके से बेचने वाले अधिकारियों के होश फाख्ता हो गये और आवंटी को भागने पर मजबूर होना पड़ा।
बात यहीं पर खत्म नहीं होती…। सेक्टर ए के पॉकेट नंबर 1 में रहने वाली आवंटी इंदु शिवशंकरन नायर न्यायालय की शरण में चली गयी हैं। न्यायालय ने उन्हें निर्देश दिया कि रेरा में जायें,वहां पर इंसाफ मिलेगा…। इंदु जब रेरा गयीं तो वहां से जवाब मिला कि रेरक कुछ नहीं कर सकतक,आप न्यायालय ही जाये। वादी फिर न्यायालय का दरवाजा खटखटायी तो वहां से रेरा के अधिकारियों को जमकर फटकार लगायी गयी और जवाब मांगा गया कि आखिर रेरा ने इतना लंबा समय क्यों लियाऔर कार्रवाई क्यों नहीं की? सवाल यह भी है कि आखिर एलडीए ने फ्राड तरीके से बेची गयी पार्क की जमीन के आवंटी को नक्शा पास किया है या नहीं? अंसल ने जो डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) भेजा है वो पास हुआ है या नहीं? ये जांच का विषय है…। एक बात तो तय है कि फ्राडगिरी में अंसल एपीआई का कोई तोड़ नहीं है लेकिन यहां रहने वाले आवंटियों ने भी आर-पार की लड़ाई का पूरा मन बना लिया है। आवंटियों ने हुंकार भरते हुये कहा कि वे लोग मुख्यमंत्री की नीतियों पर चलने वाले हैं और अंसल ने उनलोगों के साथ छल किया है जो कि अपराध की श्रेणी में आता है। जब सीएम ने यूपी में माफियाओं के हौसले को पस्त कर दिया है तो अंसल भी भू-माफियाओं की तरह आवंटियों को धोखा दे रहा है तो उसके खिलाफ कब कार्रवाई करेंगे ?
सुशांत गोल्फ सिटी (अंसल एपीआई) के सेक्टर ए-पॉकेट वन में आवास नंबर 227 से 234, 216 से 225 की दिशा में खूबसूरत 6806.38 स्क्वायर मीटर में पार्क बना है। वर्ष 2006 में यहां पर रहने वाले आवंटियों से अंसल ने पार्क फेसिंग के लिये बेसिक रेट का पांच प्रतिशत अतिरिक्त (पीएलसी चार्ज) लिया था। आवंटियों ने पार्क के सौन्दर्यीकरण के लिये अपने स्तर से भी महंगे पेड़ लगाये ताकि यहां का वातावरण प्रदूषित ना हो। अचानक अंसल के अधिकारियों ने वर्ष 2010 में पार्क की जमीन पर दो तालाब खुदवाने लगे। आवंटियों ने जब विरोध किया तो अंसल के अधिकारियों ने तर्क दिया कि गांव वाले सुप्रीम कोर्ट चले गये हैं और वहां से सख्त निर्देश जारी हुआ है कि मनरेगा का तालाब बनाया जाये। अंसल मुकदमा हार गया इसलिये यहां पर दो तालाब खोदना है। कोर्ट का आदेश था तो अंसल को पार्क की जमीन पर पार्क को रखते हुये तालाब को कहीं और बनाया चाहिये। खैर, तालाब तो खुद गयी लेकिन वहां सौन्दर्यीकरण नहीं जानवरों ने डेरा बना लिया है। आवंटियों की खामोशी को कायरता समझने की भूल कर अंसल एपीआई के अधिकारियों ने पार्क के उत्तर दिशा में आवास संख्या 216-225 के सामने पार्क के कार्नर की 2900 स्क्वायर फीट जमीन लगभग डेढ़ करोड़ में गुपचुप तरीके से किसी को बेच डाली। मामले का खुलासा होने पर जमकर हंगामा हुआ और ए-वन-227 में रहने वाली श्रीमती इंदु शिव शंकरन नायर 6 अक्टूबर 2020 को न्यायालय की शरण में चली गयी।
इंदु शिवशंकरन नायर ने बताया कि अंसल ने जब हम लोगों से पार्क फेसिंग चार्ज लिया है तो फिर किस हक से पार्क की जमीन को बेच दिया ? हमलोग कोर्ट की शरण में गये हैं और पूरा विश्वास है कि इंसाफ मिलेगा। उन्होंने बताया कि 6 अक्टूबर 2020 को मैंने न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी और वहां से निर्देश मिला कि आपलोग रेरा में जायें,वहां न्याय मिलेगा। रेरा से इंसाफ ना मिलने पर दुबारा न्यायालय की शरण में गयी। अंसल के अधिकारियों ने रेरा में बैठे अधिकारियों को मोटी रकम देकर खरीद लिया है, तभी तो रेरा से जवाब मिला कि हमलोग इस केस में फैसला नहीं ले सकते हैं, आपलोग न्यायालय की शरण में जाये। उसके बाद न्यायालय ने फटकार लगाते हुये रेरा से सवाल किया कि जब इंसाफ नहीं करना था तो इतना लंबा समय क्यों लिया? न्यायालय ने रेरा के अधिकारियों से जवाब मांगा है।
इसी तरह, विजेन्द्र सिंह और ए. के .श्रीवास्तव ने बताया कि अंसल ने चोरी-छिपे पार्क की जमीन को करोड़ों में बेचकर अपराधियों की तरह काम किया है। नियम विरुद्ध काम करने पर अंसल के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना चाहिये। श्री सिंह ने कहा कि अब लड़ाई आर-पार की होगी और देखते हैं अंसल ने जिसे जमीन बेचा है,वो कैसे यहां पर मकान बनाता है। श्री श्रीवास्तव ने भी हुंकार भरते हुये कहा कि यहां पर प्रधानमंत्री का नाम लेकर पार्क में दो तालाब खोद डाला और सौन्दर्यीकरण हुआ ही नहीं।
इसी तरह,अमित सिंह,अनंत पराशर ने बताया कि तालाब की खुदाई तो हो गयी लेकिन यहां पर आये दिन सांप-बिच्छू लोगों के घरों में मेहमान बनकर घुस रहे हैं। लोग भयाक्रांत हैं और किसी के परिजन को कुछ हुआ तो इसके लिये पूरी तरह से अंसल के अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
सौरभ पाण्डेय एवं श्रीमती शशिबाला श्रीवास्तव ने बताया कि इस बात की भी जांच करानी चाहिये कि एलडीए से अवैध तरीके से बेची गयी प्लॉट मालिक को मकान बनाने का नक्शा पास हुआ है या नहीं?
श्रीमती सुनीता सिंह,श्रीमती सोनिया पाण्डेय ने बताया कि इस बात की भी जांच करानी चाहिये कि एलडीए से अवैध तरीके से बेची गयी प्लॉट मालिक को मकान बनाने का नक्शा पास हुआ है या नहीं ? अंसल ने जो डीपीआर भेजा है,वो पास हुआ है या नहीं? सवाल बहुतेरे हैं लेकिन पार्क की जमीन को बेचकर अंसल भी अपराधियों की श्रेणी में शामिल हो गया है।
हाईकोर्ट के एडवोकेट आदित्य कुमार तिवारी का कहना है कि पार्क की जमीन को तो अंसल को बेचना ही नहीं चाहिय,े क्योंकि वो आवंटियों से पार्क फेसिंग के नाम पर पांच प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क वसूल चुका है। कहा कि (यूपी पार्क, प्लेग्राउंड्स एण्ड ओपेन स्पेसेस प्रिजरवेशन एण्ड रेग्यूलेशन) एक्ट 1975 के सेक्शन 9 में लिखा है कि कोई भी व्यक्ति यदि पार्क की जमीन है उस पर किसी तरह का निर्माण करता है या बेच देता है तो संबंधित अॅथारिटी उसे लिखित रूप से नोटिस देना पड़ता है कि तय तिथि तक पार्क की जमीन पर हुये कब्जे को बदल देंगे। ऐसा ना करने पर मामला राज्य सरकार के पास जाता है और उनका निर्णय अंतिम माना जाता है। अंसल ने पार्क की जमीन को बेच कर यूपी अर्बन प्लानिंग डेवलेपमेंट 1973 के सेक्शन15 का भी उल्लंघन किया है इसलिये इनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिये।