ग्रेटर नोएडा में 6 मंजिला 2 इमारतें गिरी, 3 की मौत, कई लोगों के फंसे होने की आशंका, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

ग्रेटर नोएडा –  उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के साहबेरी गांव में मंगलवार की रात को 6 मंजिला इमारत भरभरा के गिर गई जिससे इसकी चपेट में दूसरी इमारत भी चपेट में आ गई और वो भी गिर गई। बताया जा रहा है इस घटना में  लगभग 50 से ज्यादा लोगों के दबे होने की आशंका है। लोगों की माने तो पुरानी बिल्डिंग में कुछ लोग रह रहे थे वहीं निर्माणाधीन बिल्डिंग में मजदूर सो रहे थे। वहीं अभी तक इस दर्दनाक हादसे में 3 लोगों के मरने की सूचना मिली है। बाकि अन्य लोगों के फंसे होने के आशंका जताई जा रही है।

इस हादसे की सूचना मिलते ही एनडीआरएफ की टीम के साथ डॉग स्क्वॉड की टीम भी लोगों को बचाने में जुटी हुई है। पुलिस, फायर ब्रिगेड और एनडीआरएफ की टीम लोगों को सुरक्षित करने के प्रयास में लगातार लगी हुई है। क्रेन के सहारे मलबे को हटाया जा रहा है और वहां फंसे लोगों को निकाला जा रहा है लेकिन अभी भी कई लोगों के दबे मलबे के नीचे दबे हुए हैं।

मुख्यमंत्री ने मामले का लिया संज्ञान दिए जांच के आदेश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले का संज्ञान लिया है घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीजीपी ओ.पी.सिंह से हालात की जानकारी ली, डीजीपी के अनुसार एनडीआरएफ की टीम, जिला प्रशासन, पुलिस मौके पर मौजूद हैं और मुस्तैदी से राहत कार्य अंजाम दिया जा रहा है। फिलहाल मलबा अधिक होने के कारण मृतकों और घायलों की संख्या का अनुमान लगाना मुश्किल है।

मेरठ रेंज के आईजी राम कुमार ने कहा कि प्राथमिकता है मलबे को लेयर बाय लेयर हटाने की ताकि जो जीवित हैं उन्हें निकाला जा सके। अभी तक 2 मजदूरों की ही डेड बॉडी मिली है। यह निर्माणाधीन बिल्डिंग है इसलिए फंसे हुए लोगों में भी मजदूरों के ही होने की संभावना है। स्थानीय लोगों से यही पता चला है कि ज्यादातर मजदूर अपने परिवार के लोग ही निर्माणाधीन बिल्डिंग में रह रहे थे। अभी 24 घंटे तक और राहत और बचाव कार्य चल सकता है। बिल्डर कौन था अभी पता नहीं चला है, लेकिन दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

रेस्क्यू में जुटी एनडीआरएफ टीम के कमांडेंट पीके श्रीवास्तव ने कहा कि की टीम का कहना है कि खोजी कुत्तों की मदद ली जा रही है। ऐसा लग रहा है कि इसमें किसी के बचने की उम्मीद कम है। खोजी कुत्ते क्योंकि सूंघने की ताकत से तेजी से जीवित लोगों तक पहुंचते हैं लेकिन अब ऐसे संकेत नहीं मिल रहे हैं।

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