गाजीपुर सीट और सिंबल को लेकर फंसा है पेंच
लखनऊ। सुभासपा से जुड़े एक उच्च पदस्थ सूत्र का कहना है कि गठबंधन को लेकर सभी मुद्दों पर बातचीत हो चुकी है। 18 जुलाई को दिल्ली में होने वाली बैठक में ओमप्रकाश राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर या अरुण राजभर में से किसी एक साथ शामिल हो सकते हैं। दोनों नेताओं की वहां पर भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से बातचीत होगी। इस बैठक में ही गठबंधन के स्वरूप पर अंतिम चर्चा होगी। इसके बाद पूर्वांचल में एक बड़ी रैली कर गठबंधन की औपचारिक घोषणा की जाएगी।दरअसल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा की नजर पिछड़ी जाति के वोट बैंक पर है। वहीं, सपा से रिश्ता टूटने के बाद से ही ओमप्रकाश फिर से भाजपा के साथ जुड़ने की कोशिश में हैं। इसे देखते हुए सुभासपा का भाजपा के साथ गठबंधन की अटकलें काफी दिनों से लगाई जा रही हैं।

सूत्रों की माने तो राजभर और भाजपा के नेतृत्व के बीच सिंबल और गाजीपुर सीट को लेकर पेंच फंसा है। राजभर की दो प्रमुख मांग है। पहला, गाजीपुर सीट सुभासपा के कोटे में दी जाए। दूसरा, अपने ही सिंबल पर ही प्रत्याशी उतारेंगे। चर्चा है कि ओमप्रकाश गाजीपुर सीट से अपने बेटे अरुण राजभर को लड़ाना चाहते हैं। लेकिन, भाजपा इस सीट को देने में हिचक रही है। सूत्रों का कहना है कि गाजीपुर के अलावा मऊ की घोसी सीट पर भी सुभासपा ने दावा कर रखा हैं। इन मुद्दों पर 18 की बैठक में फैसला होना है ।
दरअसल भाजपा हाईकमान द्वारा कराए गए सर्वे में पूर्वांचल 7-8 सीटों पर राजभर जाति के प्रभाव होने की बात कही गई थी, लेकिन ओपी राजभर ने 32 सीटों पर राजभर मतदाताओं की अच्छी संख्या होने का दावा करते हुए अपने लिए सीटें तय करने की मांग रखी। सूत्र बताते हैं कि राजभर के दावे की सच्चाई जानने के लिए भाजपा ने अपने संगठन के माध्यम से दोबारा फीडबैक लिया। पाया चला कि 17-18 सीटों पर राजभर का ठीकठाक प्रभाव है। इसमें गाजीपुर, घोसी और बलिया में सबसे ज्यादा प्रभाव वाले हैं। शायद इसीलिए सुभासपा इन सीटों को लेकर अधिक दबाव बनाए हुए है।






