लखनऊ. सीएम योगी आदित्यनाथ प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की बात कर रहे हैं. सरकारी कामकाज और ठेके में पारदर्शिता का बखान कर करप्शन को जड़ से खत्म करने का दावा कर रहे हैं. लेकिन, अधिकारियों की सेहत पर इसका कोई असर नहीं है. वे सीएम के आदेशों को ताक पर रख अपना ‘खेल’ अंजाम दे रहे हैं. ताजा मामला पॉवर कॉरपोरेशन का है. कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने करोड़ों रुपये के घोटाले की स्क्रिप्ट लिख दी. अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए पॉवर कॉरपोरेशन ने सरकारी खजाने को तीन हजार करोड़ रुपये की चपत की भी नींव रख दी. निविदा में शामिल हो चुकीं एजेंसियों ने पॉवर कॉरपोरेशन पर इन गंभीर आरोपों के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. वहीं पॉवर कॉरपोरेशन इन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है.
यह है मामला
मामला यूपी पॉवर कॉरपोरेशन के मध्यांचल, पूर्वान्चल, दक्षिणांचल व पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में बिलिंग एजेंसियों के चयन का है. इसमें डिस्कॉम स्तर पर बिलिंग एजेंसियों के चयन में बड़ी धांधली उजागर हुई है. सूत्रों के मुताबिक यूपी पॉवर कॉरपोरेशन प्रबंध तंत्र ने तय प्रक्रियाओं को ठेंगा दिखाते हुए चहेती कम्पनियों को बिलिंग का ठेका देने का कारनामा अंजाम दिया है. अधिकारी इतने मेहरबान कि उन्होंने अनट्रेंड कम्पनियों तक को करीब 800 करोड़ का टेंडर दे दिया.
पॉवर कॉपरपोरेशन में बड़ा घोटाला, सरकार को तीन हजार करोड़ की चपत!
