लखनऊ विवि विवाद में हाईकोर्ट ने कुलपति, प्रॉक्टर और एसएसपी को किया तलब, हाईकोर्ट तलब होने से पहले डीजीपी ने मामले में की बड़ी कार्रवाई

लखनऊ – लखनऊ विश्वविद्यालय में कल हुए उपद्रव के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कड़ा रुख अपनाते हुए कुलपति एसपी सिंह, प्रॉक्टर विनोद सिंह समेत एसएसपी दीपक कुमार लखनऊ को तलब किया। इस मामले की सुनवाई 6 जुलाई को होगी, वहीं कोर्ट ने यूनिवर्सिटी और पुलिस-प्रशासन से पूछा कि आखिर किन वजहों से लखनऊ यूनिवर्सिटी में ऐसे हालात बन गए कि छात्रों ने वाइस चांसलर, प्रॉक्टर समेत दर्जनों कर्मचारियों और प्रोफेसर पर हमला कर दिया।

हाईकोर्ट ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह की किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पुलिस को हमेशा तैयार रहना चाहिए, यूनिवर्सिटी कैंपस के भीतर इस तरह की हिंसात्मक घटनाएं हो रही हैं, तो ये चिंता का विषय है जिसपर ध्यान देने की सख्त जरूरत है। कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद मामले में डीजापी ने कोर्ट जाने से पहले मामले की जांच लखनऊ रेंज के आईजी को सौंप दी, साथ ही डीजीपी ने सीओ महानगर को लखनऊ से हटा दिया, लखनऊ विश्वविद्यालय के चौकी इंचार्ज सस्पेंड को डीजीपी ने सस्पेंड कर दिया। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को डीजीपी, एसएसपी को तलब किया है जिसके पहले डीजीपी ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई की।

गौरतलब है कि बुधवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रॉक्टोरियल टीम के सदस्यों को बुधवार को परिसर में दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। उन पर पथराव भी हुआ जिससे घटना में 12 से ज्यादा शिक्षक चोटिल हो गए। उपद्रवियों ने कुलपति प्रो.एसपी सिंह को भी नहीं बख्शा और उनके साथ भी बदसलूकी की। घटना के विरोध में विश्वविद्यालय को बंद कर दिया गया है। लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुछ पूर्व छात्रों को नए शैक्षिक सत्र में दाखिला देने पर रोक लगाई है। इसके विरोध में सोमवार से विश्वविद्यालय में भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन चल रहा है। कुलपति प्रो. एसपी सिंह बुधवार को दोपहर 12 बजे के आसपास प्रशासनिक भवन से एकेडमिक स्टाफ कॉलेज में लेक्चर लेने जा रहे थे। प्रशासनिक भवन के साथ पूर्व छात्र आकाश लाला कुलपति की गाड़ी के सामने लेट गया और दाखिला दिया जाने की मांग उठाई। उसके समर्थन में छात्र हिमांशु और विनय यादव भी आ गए। हालांकि, इस दौरान पुलिस ने उन्हें किनारे कर दिया। कुलपति लेक्चर लेने चले गए।

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