भारतीय किसान यूनियन की क्रांति यात्रा हजारो की संख्या में किसान शामिल

केन्द्र सरकार की नीतियों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन किसान क्रांति यात्रा उत्तराखंड के हरिद्वार से पैदल चलकर आज मुज़फ्फरनगर पहुंची जिसमे कई हजार किसान अपने ट्रेक्टर ट्रोलियो में भरकर किसान मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत अमर रहे और भारतीय किसान यूनियन जिंदाबाद के नारे लगाते दिखाई दिए . किसान क्रांति यात्रा के शिव चोंक पहुंचे पर नगर वासियों ने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत और चौधरी राकेश टिकैत की आरती उतारकर किसानो पर पुष्प वर्षा की तो वन्ही मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में मुस्लिम समाज  के सैकड़ो लोगो ने भी मीनाक्षी चोंक पर किसान क्रांति यात्रा का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया . कांवड़ यात्रा के बाद दिल्ली देहरादून नैशनल हाइवे पर किसान क्रांति यात्रा का नजारा देखते ही बनता था . इस यात्रा में किसानो के साथ साथ किसान महिलाओ की बड़ी संख्या में भागीदारी रही . राकेश टिकैत ने जानकारी देते हुए बताया की हमारे देश का हर किसान आज बहुत परेशान है सरकार को जो कार्य करने चाहिए थे वो नहीं किये सरकार उन उद्देशियो से हट गयी पूर्ण रूप से किसान तंग हालात में है हमने कहा था की जो किसानो पर कर्जा है उसे माफ़ किया जाये स्वामी नाथन की रिपोर्ट को लागु किया जाये ,दस साल पुराने जो ट्रेक्टर है उन्हें बहाल किया जाये गन्ने के भुगतान का सवाल है हमारा जो लगभग 22 करोड़ पुरे देश का है इन सारे सवालो के साथ हम दिल्ली जा रहे है सरकार इसे काम करती है इस लिए ये किसानो की क्रांति सरकार के खिलाफ है ये कोई बसपा के खिलाड़ तो है नहीं जो सत्ता को चलाते है ये क्रांति उनके खिलाफ है ये पूर्ण रूप से वैचारिक क्रांति है जब भी पूरी दुनिया में कुछ हुआ है तो विचार से ही परिवर्तन आया है .सरकार को इस पर काम करना पड़ेगा और हमारी बात सुननी पड़ेगी .किसानो से सरकार को बात करनी पड़ेगी .ये कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं है हमें कोई चुनाव नहीं लड़ना है हम तो सरकार से मांग कर रहे है जो हमारी मांग है उन्हें पूरा करो सरकार के जो घोषणा पत्र में था उसे पूरा करना चाहिए .जो सरकार का कानून है हम उसी दायरे में बात करना चाहते है .14 दिन में गन्ने का भुगतान करने का आदेश है तो क्यों नहीं कर रहे .तो ये सब हमारे सवाल है हम सरकार को तलाश कर रहे है पर वो हमें मिली नहीं ,देश के कोने कोने से किसान इस क्रांति यात्रा में आये है दिल्ली जाकर क्या होगा कुछ नहीं पता ये तो वन्ही जाकर पता चलेगा .

चौधरी राकेश टिकैत (राष्ट्रिय प्रवक्ता – भारतीय किसान यूनियन ) हमारे देश का हर किसान आज बहुत परेशान है सरकार को जो कार्य करने चाहिए थे वो नहीं किये सरकार उन उद्देशियो से हट गयी पूर्ण रूप से किसान तंग हालात में है हमने कहा था की जो किसानो पर कर्जा है उसे माफ़ किया जाये स्वामी नाथन की रिपोर्ट को लागु किया जाये ,दस साल पुराने जो ट्रेक्टर है उन्हें बहाल किया जाये गन्ने के भुगतान का सवाल है हमारा जो लगभग 22 करोड़ पुरे देश का है इन सारे सवालो के साथ हम दिल्ली जा रहे है सरकार इसे काम करती है इस लिए ये किसानो की क्रांति सरकार के खिलाफ है ये कोई बसपा के खिलाड़ तो है नहीं जो सत्ता को चलाते है ये क्रांति उनके खिलाफ है ये पूर्ण रूप से वैचारिक क्रांति है जब भी पूरी दुनिया में कुछ हुआ है तो विचार से ही परिवर्तन आया है .सरकार को इस पर काम करना पड़ेगा और हमारी बात सुननी पड़ेगी .किसानो से सरकार को बात करनी पड़ेगी .ये कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं है हमें कोई चुनाव नहीं लड़ना है हम तो सरकार से मांग कर रहे है जो हमारी मांग है उन्हें पूरा करो सरकार के जो घोषणा पत्र में था उसे पूरा करना चाहिए .जो सरकार का कानून है हम उसी दायरे में बात करना चाहते है .14 दिन में गन्ने का भुगतान करने का आदेश है तो क्यों नहीं कर रहे .तो ये सब हमारे सवाल है हम सरकार को तलाश कर रहे है पर वो हमें मिली नहीं ,देश के कोने कोने से किसान इस क्रांति यात्रा में आये है दिल्ली जाकर क्या होगा कुछ नहीं पता ये तो वन्ही जाकर पता चलेगा .

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