लखनऊ – नदियों की स्थिति इतनी दयनीय हो रही थी कि लोगों आचमन भी नहीं करते थे लेकिन अब एक मामला सामने आया है जिसमें बेता नदी का पानी पीने से कई जानवरों की मौत हो गई। किसानों की माने तो अपने जानवरों को चराने के लिए बेता नदी के किनारे ले गये थे, भैसों ने चरने के बाद नदी का पानी पिया तो उसके बाद कई किसानों की भैंसे मर गईं। जानवरों की मौत से गांव में हड़कंप मच गया। गांव के ग्राम प्रधान हरि शंकर यादव ने इसकी सूचना डॉक्टरों को दी। डॉक्टरों की टीम ने पहुंचकर इलाज शुरू किया। जहरीले पानी की चपेट का शिकार करीब 30 भैंसे हुई हैं जिसके बाद से आसपास के लगभग एक दर्जन गांवों में दहशत फैल गई।
बताया जाता है कि मंगलवार दोपहर करीब दो बजे कुछ किसान घर की भैंसे चराने के लिए बेता नदी पर ले गये थे, गांव के निकट सूखी पड़ी बेता नदी के एक कुण्ड में भरे पानी को पीने से करीब एक घण्टे बाद कुण्ड से लगभग 500 मीटर की दूरी पर जानवरों की तबियत बिगड़ गई। लगभग सभी जानवर तड़पने लगे, यह देख भैंसे चराने गये लड़के चिल्लाते हुए गांव की ओर दौड़ पड़े, सोर शराबा सुनकर ग्रामीण और ग्राम प्रधान हरिशंकर यादव भी मौके पर पहुंचे। लड़कों ने पूरी बात बताई जब बताई तो प्रधान ने इसकी सूचना डॉक्टरों को दी।
लेखपाल ने गांव का किया दौरा मलिहाबाद तहसील में कार्यरत कटौली गांव में तैनात क्षेत्रीय लेखपाल इंद्रेश कुमार रावत ने टीम के साथ गांव पहुंच कर जायजा लिया और रिपोर्ट तैयार की। लेखपाल ने शाम को अपनी रिपोर्ट तहसीलदार व एसडीएम मलिहाबाद को सौंपी।
वहीं इतनी बड़ी घटना होने के बाद गांव के ग्राम प्रधान हरिशंकर यादव ने सबसे पहले सूचना मोबाइल फोन से पशु चिकित्सालय के प्राभारी डॉ आर.बी.राम को दी लेकिन वह देर रात तक गांव नही पहुंचे, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। जानवरों का इलाज करने कटौली गांव पहुंचे पशु सेवा केंद्र के अमित कुमार रावत ने बताया कि जानवरों में लक्षण को देखते हुए इलाज किया जा रहा है। भैंसे किस वजह से बीमार हुईं और मरी है, इसकी पुष्टि भैंसों के पोस्टमार्टम होने के बाद ही पता चलेगा फिलहाल अभी इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।