उद्यान राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने अपने विभाग के अफसरों पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप,सीएम को लिखा पत्र
सीएम को लिखे पत्र के पन्नों का राज : येागी की व्यस्तता पर गबन का खेला कर रहे अफसर
उद्यान राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र,पत्र के तीन पन्नों ने मचाया हड़कम्प
संजय पुरबिया
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के एक और मंत्री ने अब अपने ही विभाग के अधिकारियों पर ‘खेला‘ करने का गंभीर आरोप लगाया है। उद्यान राज्य मंत्री ‘स्वतंत्र प्रभार’ दिनेश प्रताप सिंह ने मंत्री ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि किस तरह से उनकी व्यस्तता का लाभ उठाकर मंडी परिषद के बड़े अधिकारी भ्रष्टाचार कर रहे हैं। पूरा पैसा अफसरों की जेब में जाये इसके लिये अफसरों ने गोदाम के सीसीटीवी कैमरा खराब करा दिया है। इसके अलावा निर्माण कार्यों में बड़़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। रोक लगाने के बाद भी मंडी समितियों ने व्यापारियों से चेक से भुगतान लिया है,जो बाद में बाउंस हो गया। चेक बाउंस होने वाले व्यापारियों ने काई सख्त कार्रवाई नहींं की। मतलब साफ है,पूरा पैसा अधिकारियों की जेब में जा रहा है। दूसरी तरफ, मंडी परिषद के निदेशक अंजनी कुमार सिंह ने ‘द संडे व्यूज़‘ मंत्री द्वारा लगाये गये आरोप को खारिज किया है। कहा कि शिकायती पत्र में मंत्री ने किसी खास मामले का जिक्र नहीं किया है। जहां तक तुलाचौकी और सीसीटीवी कैमरे खराब होने की बात है तो ऐसा भी नहीं है,क्योंकि इनके रख-रखाव का बराबर ध्यान दिया जा रहा है।
उद्यान राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह ने मण्डी परिषद के अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये हैं। इस बारे में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तीन पेज का एक पत्र लिखा है। उन्होंने मंडी परिषद में भ्रष्टाचार के साथ ही अपने मंत्रालय में सभी विकास कार्यों में भ्रष्टाचार की जानकारी दी है। इतना ही नहीं मंडी परिषद के अफ सरों पर भी सवाल उठाये हैं। आरोप है कि अफ सरों ने गोदाम के सीसीटीवी कैमरा खराब करने के साथ ही निर्माण कार्यों में भी बड़े पैमाने पर घोटाला किया है।
उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि आपकी व्यस्तता का फ ायदा उठाकर अफ सर पैसा बनाने में लगे है। उन्होंने कहा कि मैंने मंडी समितियों के कामकाज के बारे में प्रतिक्रिया देने की नियमित कवायद के रूप में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री मंडी परिषद बोर्ड के अध्यक्ष हैं। उन्होंने ही दिनेश प्रताप सिंह को मंत्री के रूप में मासिक बोर्ड बैठक की अध्यक्षता करने के लिये अधिकृत किया है। मंत्री दिनेश प्रताप ने विभिन्न क्षेत्रों से मंडियों में हो रही वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के बारे में मिल रही शिकायतों के बाद 16 अगस्त को बोर्ड की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में ठेकेदारों और अधिकारियों को बुलाया और इसका वीडियो रिकॉर्डिंग करने का आदेश दिया।
मंत्री ने बैठक के करीब 20 दिन बाद पांच सितंबर को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सरकारी मंडियों में हो रही वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं की जानकारी दी। मंत्री ने पत्र में कहा है कि ट्रक और ट्रैक्टरों में बिक्री के लिये लाये गये सामानों को तौलने और रिकार्ड करने के लिये मंडियों में लगाये गये तुलाचौकी अक्सर काम ही नहीं करती है। वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से तुलाचौकी के पास एक वैकल्पिक रास्ता बनाया गया है। अधिकांश वाहन मंडियों के अंदर जाने के लिये उसी रास्ते का प्रयोग करते हैं। मंत्री ने पत्र में यह भी कहा कि माल के आगमन और प्रस्थान को रिकार्ड करने के लिये मंडियों में लगाये गये सीसीटीवी कैमरों को या तो खराब कर दिया गया है या मंडी शुल्क से बचने के लिये जानबूझकर डायवर्ट किया गया है। प्रतिबंध के बाद भी मंडी समितियों ने व्यापारियों से चेक में भुगतान स्वीकार किया है, जो बाद में बाउंस हो गया। अधिकारियों ने इसको लेकर कोई कार्रवाई नहीं की।
मण्डी परिषद के प्रबंध निदेशक अंजनी कुमार सिंह ने मंत्री दिनेश प्रताप सिंह द्वारा लगाये आरोपों से साफ तौर पर इंकार किया है। उन्होंने कहा कि शिकायती पत्र में मंत्री ने किसी विशिष्ट प्रकरण का जिक्र नहीं किया है। मंत्री से उनकी नियमित बातचीत होती रहती है। जहां तक तुलाचौकी और सीसीटीवी कैमरे खराब होने का सवाल है तो ऐसा भी नहीं है क्योंकि इनके रखरखाव का बराबर ध्यान रखा जाता है। इस प्रकरण में वह मंत्री से वार्ता करेंगे।