महिलाओं के विवाह के कानूनी आयु में वृद्धि हेतु आयोजित मोहल्ला- सभा 

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लखनऊ |  लखनऊ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना(N S S)के सभागार में सोशल वर्क विभाग में यस फाउंडेशन द्वारा एक मोहल्ला सभा आयोजित किया गया जिसमे 45 युवा मौजूद रहे|यह कार्यक्रम संस्था द्वारा समझो तोह संविधान लाइव! डायलॉग्स एवं फ्रेटरनिटी लैब का एक राष्ट्रीय स्तरीय कार्यक्रम है,जो की विभिन्न पहचानो एवं विचारधारा के युवा को एक साथ मिलकर परस्पर संवाद एवं सहयोग करता है|एक साथ साझी समझ बनाते हुए भारत के सह–निर्माण में अपना योगदान देता है|
ये कार्यक्रम संविधान में निहित मूल्यों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र के इससे जुड़े युवा विभिन्न समाज,कस्बों और समुदायों के बीच लोगों को जानकारी के साथ–साथ जागरूक करते है|
यह कार्यक्रम यह एक सोच फाउंडेशन कम्युनिटी द यूथ कलेक्टिव व अजीम प्रेमजी फिलान्थ्रोपिक इनिशिएटिव के सहयोग से चल रहा है जिसका सांचालन लखनऊ में शिवांगी द्वारा किया जा रहा है |
कार्यक्रम से जुड़े युवा साथी पवन सिंह और शिन्ग्धा शर्मा एक युवा प्रतिभागी है,इनके साथ–साथ बाबु बनारसी दास विश्वविद्यालय के विधि संकाय के छात्र प्रीति,ध्रुव,केशव,प्रभात, मौजूद रहे और उन्होंने भी अपनी बात रखी और कार्यक्रम के संचालन को सफल बनाया|इस सभा में लखनऊ विश्वविद्यालय के अलग-अलग संकायों के छात्रों ने भी हिस्सा लिया और अपनी अपनी बात रखी और चर्चा का विषय रहा लड़कियों के विवाह के क़ानूनी आयु में वृद्धि जैसा की मौजूदा केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित विधेयक जिसमें महिलाओं की विवाह की क़ानूनी आयु को 18 से बढ़ाकर 21 की जा रही है|
इस विधेयक पर चर्चा हेतु इसके पक्ष और विपक्ष मौजूद छात्रों ने अपनी-अपनी बात रखी और बताया की सरकार को महिलाओं के वैवाहिक उम्र को बढ़ने के साथ–साथ उनके यौन सुरक्षा और स्वच्छता पर ध्यान की जरूरत है सरकार को महिलाओं के गर्भ सम्बन्धी समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है|
गर्भवती महिलाओं को समय–समय पर उनके बेहतर स्वास्थ्य हेतु उनको सही टीका और सही भरण पोषण हेतु सही और उचित आहार की आवश्यकता इसके साथ–साथ चिकित्सालयों में गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष प्रयोजन होना चाहिए,छात्रों ने बताया की अगर हम महिलाओं के शिक्षा पर ध्यान देने के साथ-साथ महिला सुरक्षा पर भी ध्यान दे तो इससे समाज में महिलाओं को अपने लक्ष्य पर कार्य करने हेतु आसानी मिलेगी और राष्ट्र निर्माण में उनका भी बराबरी का योगदान रहेगा|कार्यक्रम के अंत में मौजूद लोगों को मौलिक अधिकार और उनके कर्तव्यों के बारे में जागरूक करवाया |

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