हॉफेड के एमडी डॉ. आर. के. तोमर ने तैयार कर दी 50 करोड़ के घोटाले की ‘स्क्रीप्ट’
संजय पुरबिया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री येागी आदित्यनाथ के कहर से माफियाओं के हौसले पूरी तरह से पस्त हैं लेकिन सरकार में बैठे कुछ अफसरान बेखौफ होकर भ्रष्टाचार की नई पाठशाला चला रहे हैं। इन अफसरों में सरकार का खौफ तो है लेकिन घोटाला करने की गाईड लाइन बदल दी है। उ. प्र. राज्य औद्यानिक सहकारी विपणन संघ (हॉफेड) के प्रबंध निदेशक डॉ. आर. के. तोमर ने 26 मई को एफ. ओ. आर की आपूर्ति के लिये उत्तर प्रदेश के मूल उत्पादक, आपूर्तिैकर्ता, अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर व डीलरों से प्रस्ताव मांगा। शर्त रखी कि सभी फर्म अपने-अपने सुझाव और रेट हर हाल में 10 जून तक भेज दें। उसके बाद एमडी आर. के. तोमर ने शर्त रखी कि सभी हाईब्रिड सीड सहित कई तरह की सब्जी के बीज के लिये सिर्फ मूल उत्पादक ओरिजनल प्रोडयूशर ही लेंगे। नौ कैटेगरी बनायी गयी जिसमें से सब्जी के हाईब्रिड सीड्स,बायोफर्टिलाइजर्स,बायोपेस्टिसाइड, बायोजेंटस,टिस्सू कल्चर,बनाना प्लांट,फ्रूट प्लांट्स के लिये सिर्फ मूल उत्पादक ही आवेदन कर सकता है। शेष में सभी फर्म आवेदन कर सकते हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि मूल उत्पादक यानि ओरिजनल प्रोड्यूशर नाम की संस्था उत्तर प्रदेश में है ही नहीं? ओरिजनल प्रोड्यूशर नाम की फर्म तो दिल्ली, हरियाणा,पंजाब या मध्य प्रदेश में है। इससे साबित होता है कि एमडी ने उत्तर प्रदेश के बजाये दूसरे राज्यों के किसी बड़ी फर्म से सांठगांठ कर करोड़ों का वारा-न्यारा करने की स्क्रिप्ट तैयार कर ली है।
26 मई 2022 को उ.प्र. औद्यानिक सहकारी विपणन संघ हॉफेड के प्रबंध निदेशक डॉ. आर.के.तोमर ने पत्र जारी किया। जिसके मुताबिक औद्यानिक विकास कार्यक्रमों में किसानों के लिये गुणवत्तायुक्त रोपण सामग्री व निवेशों का प्रबंध कर उ.प्र. के जनपदों में दर अनुबंध के आधार पर एफ.ओ.आर. आपूर्ति के लिये श्रेणीवार मूल उत्पादक,आपूर्तिकर्ता,अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर व डीलर को सूचीबद्ध किये जाने के लिये इच्छुक एवं अर्ह आवेदकों से पूरा प्रस्ताव 10 जून 2022 की शाम पांच बजे तक आमंत्रित किये जाते हैं। आवेदक एक या एक से अधिक श्रेणी में भी आवेदन कर सकता है। नियम की बात करें तो अभी तक जो लोक सूचीबद्ध होते थे उनमें मूल उत्पादक,डीलर व डिस्ट्रीब्यूटर को ही सूचीबद्ध किया जाता था लेकिन इस बार सिर्फ मूल उत्पादक को ही सूचीबद्ध करने की शर्त लगायी गयी है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रबंध निदेशक श्री तोमर ने जो 9 कै टेगरी निकाली है,उसमें से नंबर 1 कॉलम में कैप्सीकम, कुकंबर, टोमैटो, ब्रिंजल, बोतल गार्ड,कैबेज,कली फ्लावर,बिटर गार्ड,राईज गार्ड,स्पॉंज गार्ड,पंपकिन, प्वाइंटेड गार्ड, ओरका, चिली, रैडिश, वाटरमिलन,अॅनियन सहित फे्रंचबीन,कोरियंडर, टर्मेरिक,जिंजर,गार्लिक के बीजों के कॉलम में सिर्फ ओरिजनल प्रोड्यूशर के लिये जगह निकाला है। ठीक इसी तरह नंबर 2 कॉलम में बायोफर्टिलाइजर,बायोपेस्टिसाइड और बायोजेंटस में अज़ाटोबैक्टर, राइजोबियम, एैजोस्पीरिलियम,पीएसबी,पीएमबी केएमबी,माइकोरिजा, एनपीके फर्टीलाइजर कन्सोर्टिया, कैरियर बेस्ड कंसोर्टिया, जिंक सोल्यूबिलाइजिंग बैक्टिरिया,वर्मी कंपोस्ट,नीम केक,एसपरगिलस आदि ट्राइकोडर्मा वर्डी,ट्राइकोडर्मा हर्जिएनियम,व्यूवेरिया बैसियाना,स्यूडोमोनस,फ्लूओरोसेंस,वर्टिसिलम लेकैनी,एजैडिरेक्टिन,बेसिलियस टयूरेंजेंसिस,फेरोमोन ट्रैपल्योर आदि के लिये भी ओरिजनल प्रोडयूसर को ही आवेदन के लिये जगह निकाला है। इसके अलावा कॉलम 8 के टिस्सू कल्चर बनाना प्लांट एवं कॉलम 9 में फू्रट प्लांटस सिडिंग एण्ड ग्राफ्टेेड में भी ओरिजनल प्रोडयूसर के लिये जगह है। शेष कॉलम में छोटे-छोटे काम है जिसे प्रबंध निदेशक ने उत्तर प्रदेश के आपूर्तिकर्ता,अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर व डीलरों के लिये छोड़ रखा है।
नियमत: अभी तक जो फर्म सूचीबद्ध होते थे उसमें मूल उत्पादक,डीलर,डिस्ट्रीब्यूटर को सूचीबद्ध किया जाता था। लेकिन इस बार सिर्फ मूल उत्पादक को ही सूचीबद्ध करने की शर्त लगायी गयी है। कॉलम 2 मेंबायोफर्टिलाइजर्स,बॉयोपेस्टिीसाइड में भी मूल उत्पादक की शर्त रखी गयी है। कॉलम 3 में फ्लावर शीड्स में सप्लायर को काम देने के लिये शर्त लगायी गयी है। आखिर इसमें मूल उत्पादक को क्यों नहीं रखा गया? खास बात यह है कि प्रबंध निदेशक श्री तोमर ने जिस ओरिजनल प्रोड्यूसर को सभी बड़े काम देने का खेल खेला है,बताने का कष्टï करेंगे की यूपी में ये फर्म कहां और किसका है? यदि यूपी में ये फर्म नहीं है तो किस नियमावली के तहत उसे काम देने का कुचक्र रच रहे हैं? साबित होता है कि कॉलम 1 व 2 में बाहर की किसी विशेष फर्म से प्रबंध निदेशक की सहमति बन गयी होगी और उन्होंने अपने शर्त के मुताबिक निविदा निकाल रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि ये निविदा सिर्फ इनपैनलमेंट करने के लिये निकाली गयी है। सभी फर्मों से रेट (दर अनुबंध)लेने के लिये पूरा ड्रामा किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि हाफेड में जितने भी फर्म सूचीबद्ध हैं,दर अनुबंध के आधार पर समस्त जनपदों से ऊपर वर्णित सामग्रियों का सप्लाई के लिये निविदा टेण्डर की जरुरत नहीं पड़ती। सीधे निदेशक संबंधित फर्म को सप्लाई का आर्डर दे देते हैं। यूपी के सभी जनपदों के जिला उद्यान अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि हॉफेड व नेफेड में इनपैनेलमेंट संस्थाओं को सीधे सप्लाई का आर्डर दे दिया जाये। चौंकाने वाली बात तो यह भी है कि डॉ.आर.के.तोमर उद्यान विभाग के भी डायरेक्टर हैं। आखिर में फिर एक ही सवाल बनता है कि आखिर प्रबंध निदेशक श्री तोमर ने इस बार सिर्फ मूल उत्पादक (ओरिजनल प्रोडयूसर) को ही सूचीबद्ध करने की शर्त क्यों रखी?