
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बागपत और शामली में पहली बार अनुसूचित जाति वर्ग से कोई महिला जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हो सकेगी। पंचायतों में नई आरक्षण नीति लागू करने का लाभ आरक्षित वर्ग को मिला है। अभी तक जो सीटें कभी अनुसूचित और पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित न हो सकी थीं, उन्हें आरक्षित किया गया है। नए आरक्षण से कई दिग्गजों का गणित भी गड़बड़ा गया है। उस बार 25 जिला पंचायतों में अध्यक्ष की कुर्सी पर महिलाएं दिखाई देंगीं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने जिला पंचायत अध्यक्ष पदों का आरक्षण व आवंटन जारी कर दिया है। अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने बताया कि इस बार 75 जिला पंचायत अध्यक्षों में से 16 अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित होंगीं। इनमें छह पर महिलाओं का आरक्षण रहेगा। इसी क्रम में पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित 20 सीटों में से सात महिलाओं के लिए सुरक्षित होंगीं। इसके अलावा 12 अन्य सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। यानी 25 जिला पंचायतों में महिला अध्यक्ष चुनी जाएंगीं। वाराणसी, लखनऊ, बागपत, कन्नौज व अमेठी जैसे वीआईपी जिलों में भी महिला अध्यक्ष निर्वाचित होंगीं। कुल 58,194 ग्राम पंचायतों में से 19,659 गांवों में महिला प्रधान तथा 300 ब्लाक प्रमुख चुनी जाएंगीं।
लखनऊ व हरदोई में अनुसूचित जाति तथा वाराणसी व बरेली में पिछड़ा वर्ग से महिला जिला पंचायत अध्यक्ष होगी। कानपुर नगर, रायबरेली व झांसी को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया है जबकि गोरखपुर, आगरा, अयोध्या, मुरादाबाद, मेरठ व रामपुर अनारक्षित वर्ग में शामिल है।
पुनर्गठन के बाद 60,59,510 की आबादी ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्र में गई है। वर्ष 2015 की तुलना में जिला पंचायत अध्यक्ष पदों की संख्या 75 ही रही है। यानी कोई बदलाव नहीं हुआ। इसके विपरित जिला पंचायतों के 69 वार्ड कम हुए लेकिन ब्लाक प्रमुख पदों में पांच पद का इजाफा हुआ।