
हरिद्वार में होने वाले कुंभ से पहले आज वृंदावन में वैष्णव कुंभ का शुभारंभ होगा। यमुना तट पर यह 12 बरस में एक बार बसंत पंचमी से आयोजित किया जाता है। मान्यता है कि वृंदावन राधा-कृष्ण के प्रेम की भूमि है। यहां रसिक भाव से वैष्णव मत के साधु संत अपने अराध्य की पूजा अर्चना करते हैं। वृंदावन में इस वैष्णव कुंभ में शैव (नागा) संन्यासी नहीं आते हैं। केवल वैष्णव संतों का आगमन होता है। इस कुंभ मेले का समापन 28 मार्च को होगा। इसके बाद संत हरिद्वार कुंभ के लिए कूच कर जाएंगे।
तीनों अनि अखाड़ों ने जमाया डेरा
वैष्णव मत का प्रमुख केंद्र ब्रज वृंदावन और अयोध्या है। लेकिन बड़ी संख्या में देश के अलग अलग तीर्थों में भी प्रमुख वैष्णव संत निवास करते हैं। वैष्णव संतों के निर्मोही, निर्वाणी और दिगंबर अनि अखाड़े के प्रमुख संत राजेन्द्र दास, धर्मदास और कृष्ण दास अपने-अपने अखाड़ों के साथ वृंदावन कुंभ में पहुंच गए हैं।
ध्वजारोहण से होगा कुंभ मेले का शुभारंभ
बसंत पंचमी को धार्मिक अनुष्ठान के साथ यमुना किनारे ध्वजारोहण होगा। इसके बाद कुंभ मेले का विधि विधान से शुभारंभ होगा। तीनों अनि अखाड़ों में भी ध्वजारोहण होगा। इस कुंभ में करीब 50 हजार साधु संतों के एकत्रित होने की संभावना है।